साल 2013 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों को लेकर सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अहम फैसला लिया है. सरकार ने जिला प्रशासन को इन दंगों के दौरान दर्ज हुए 18 मुकदमों को वापस लेने के लिखित आदेश दिए हैं. प्रशासन के मुताबिक दंगों के दौरान कुल 175 मुकदमे दर्ज हुए थे. दंगों की जांच कर रही SIT की टीम ने न्यायालय में अपनी चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी. सरकार ने इन 18 मुकदमों को वापस लेने पर जिला प्रशासन की राय मांगी थी.
मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान दर्ज 175 मुकदमों में जनप्रतिनिधियों से जुड़े सभी मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं. बता दें कि सितंबर, 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों में 60 लोग मारे गए थे, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए थे. सरकार के इस फैसले से दंगों में शामिल माने गए तमाम आरोपियों में से कुछ लोगों के छूटने का रास्ता साफ हो गया है. ये मामले दंगा, आर्म्स एक्ट और डकैती के आरोपों के तहत दर्ज किए गए थे. कोई भी जनप्रतिनिधि उनमें से किसी में भी आरोपी नहीं है.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष फरवरी महीने में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद संजीव बालियान के नेतृत्व में खाप चौधरियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिलकर मुकदमों की वापसी की मांग की थी. जिसके बाद कुछ लोगों को राजनीति का शिकार मानते हुए सरकार ने मुकदमे वापस लेने का आश्वासन दिया. इन दंगों में योगी सरकार में मंत्री सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान, सांसद भारतेंदु सिंह और पार्टी नेता साध्वी प्राची के खिलाफ मामले दर्ज हैं.
मुजफ्फरनगर दंगों की जांच के लिए बनी SIT ने 175 मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी. पुलिस ने 6,869 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था और 1,480 लोगों के दंगों के आरोप में गिरफ्तार किया गया. SIT के मुताबिक मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित 54 मामलों में अब तक 418 आरोपी सबूतों के आभाव में बरी हो चुके हैं.
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