लाॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को रहने, खाने जैसी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. सरकारों की यह राय थी कि प्रवासी मजदूरों की संख्या काफी ज्यादा है.
ऐसे में अगर ये शहर से गांव की तरफ वापस लौटे तो कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है. यही वजह थी कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए जब प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन लगाए जाने की घोषणा की तो राज्य सरकारों ने सभी प्रवासी मजदूरों से जहां हैं वहीं रुके रहने की अपील की.
कई राज्य सरकारों ने अपने प्रदेश के प्रवासियों के लिए आर्थिक मदद भी मुहैया कराई, जिससे कि वो जहां हैं वहीं रुके रहें. लेकिन प्रवासियों का अपने घरों की तरफ लौटना बंद नहीं हुआ तो सरकारों को बसें और ट्रेनें चलानी पड़ीं.
हालांकि अब उत्तर प्रदेश से एक राहत की खबर आई है. अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक प्रवासी मजदूरों में कोरोना के आंकड़े खतरनाक नहीं हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक जितने प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं उनमें से मात्र तीन फीसदी लोगों में ही कोरोना के संक्रमण देखने को मिले हैं. जो कि एक राहत की बात है. इतना ही नहीं अब तक जितने कोरोना केस की जांच हुई है उसमें एक चौथाई मामले इन प्रवासी मजदूरों के हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक कुल तीन लाख चार हजार से ज्यादा कोविड-19 टेस्ट किए हैं. जिसमें से करीब 77,416 कोरोना टेस्ट, प्रवासी मजदूरों के हैं जो अलग-अलग राज्यों से उत्तर प्रदेश लौटे हैं. अभी तक महज 2,466 प्रवासी मजदूरों में ही कोरोना संक्रमण देखने को मिला है. जो आंकड़ों के हिसाब से बहुत ज्यादा नहीं है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे अधिक कामगार उत्तर प्रदेश लौटे हैं. प्रदेश में अब तक 1,666 ट्रेनों के माध्यम से 22.63 लाख से अधिक कामगारों/श्रमिकों को वापस लाया गया है.
ट्रेनों एवं बसों के माध्यम से अब तक 26.14 लाख से अधिक लोगों को उनके गृह जनपद में सकुशल पहुंचाया जा चुका है. विभिन्न माध्यमों से अभी तक 32 लाख से अधिक श्रमिक/कामगार प्रदेश में आए हैं.
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