जिले में उत्पादित बासमती चावल की खुशबू अब विदेशों में महकेगी। उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 के तहत जिले को बासमती के उत्पादन के लिए विश्व बाजार के मानक अनुरूप तैयार किया जा रहा है। प्रशासन ने 35 हजार हेक्टेयर में बासमती धान की बुवाई किसानों से कराई है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 के तहत बासमती की खेती करने के लिए राज्य सरकार ने सूबे के 30 जनपदों को शामिल किया है। इन जनपदों में गौतमबुद्ध नगर भी शमिल है।
जिले के किसान बासमती की कई प्रजातियां उत्पादित करते है। लेकिन सबसे ज्यादा बासमती 1121 व बासमती 1509 की पैदावार होती है। अधिकारियों का दावा है कि बासमती की इस प्रजाति के चावल को विदेशों में खूब पसंद कर रहे है।
अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल देश से 44 लाख टन बासमती चावल निर्यात हुआ है। उत्तर प्रदेश में उत्पादित बासमती चावल की खुशबू अमेरिका के साथ इस्लामिक देशों में छाई हुई है।
उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 लागू हो जाने के बाद बासमती चावल विदेशी मानकों पर खरा उतरे इसके लिए कृषि वैज्ञानिक लगातार किसानों को खेती करने के गुर सीखा रहे है।
जेवर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार बासमती निर्यात प्रतिष्ठान संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर रितेश शर्मा ने बताया कि सऊदी अरब व ईरान भारतीय बासमती के सबसे बड़े मुरीद है।
भारत से पिछले वर्ष 32 हजार 806 करोड़ रुपये की बासमती का निर्यात हुआ है। कीटनाशक दवाई ट्राइसाइक्लोजोल का किसानों द्वारा प्रयोग किए जाने के चलते बासमती चावल की धाक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धाक कम हो गई थी। जिसके बाद केंद्र सरकार इस दवा को प्रतिबंधित कर चुकी है।
उप कृषि निदेशक एएन मिश्र का कहना है कि किसानों की आय को दोगुना करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिले के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर बासमती की खेती की जाती है। जिले से केआरबीएल कंपनी बासमती खरीदकर विदेशों में चावल का निर्यात कर रही है।