प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी)ने मान्यता देने से मना कर दिया है। यदि यह मान्यता मिलती तो प्रदेश में एमबीबीएस की 1300 सीटें बढ़ जातीं।
प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी)ने मान्यता देने से इनकार कर दिया है। इसकी वजह कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों एवं अन्य संसाधनों की कमी है। यह चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए जबरदस्त झटका है। क्योंकि इन कॉलेजों को मान्यता मिलती तो प्रदेश में एक साथ एमबीबीएस की 1300 सीटें बढ़ जातीं। अभी यहां सरकारी क्षेत्र की एमबीबीएस की 3828 और निजी क्षेत्र की 5450 सीटों हैं।
प्रदेश में हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है। इसके तहत करीब सालभर पहले 13 स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हुए। इन कॉलेजों की मान्यता के लिए एनएमसी में आवेदन किया गया। एनएमसी की टीम ने 24 जून को स्थलीय निरीक्षण कर कमियां गिनाईं।
फिर इसे दूर करे के लिए सप्ताहभर बाद वर्चुअल बैठक हुई। कुछ कमियां दूर की गईं, लेकिन संकाय सदस्यों (फैकल्टी )की कमी की वजह से प्रदेश के सभी 13 कॉलेजों को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। अब संबंधित कॉलेजों के प्रधानाचार्य को नए सिरे से अपील करने का निर्देश दिया गया है।
इन जिलों में बने हैं कॉलेज
स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज कुशीनगर, कौशांबी, सुल्तानपुर, कानपुर देहात, ललितपुर, पीलीभीत, ओरैया, सोनभद्र, बुलन्दशहर, गोंडा, बिजनौर, चंदौली और लखीमपुर खीरी जिले में बने हैं। सत्र 2024-25 में इन कॉलेजों को एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी थी।
अब आगे क्या है रास्ता
सभी मेडिकल कॉलेज कमियां दूर कर एनएमसी में अपील कर सकते हैं। अपील के लिए 15 दिन का समय है। ज्यादातर मेडिकल में भर्ती प्रक्रिया चल रही है, लेकिन जहां 50 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं वे निर्धारित समय में भर पाएंगे इस पर संशय है।
प्रमुख कॉलेज जहां खाली हैं पद
एनएमसी की ओर से कॉलेजों को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि फैकल्टी के कहां कितने फीसदी पद खाली हैं। इसके तहत कुशीनगर में 85.7 फीसदी, गोंडा में 84.70 फीसदी, सोनभद्र में 74 फीसदी, कौशाांबी में 72.79 फीसदी, कानपुर देहात में 76.50 फीसदी, चंदौली में 65 फीसदी, ललितपुर में 64.70 फीसदी , औरैया में 68 फीसदी, बुलंदशहर में 48 फीसदी, सुल्तानपुर में 47 फीसदी पद खाली हैं। यही स्थिति अन्य मेडिकल कॉलेजों का भी है। कई कॉलेजों में सीटी स्कैन मशीन, ब्लड सेपरेशन यूनिट आदि भी नहीं हैं।
एक तर्क यह भी
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो एनएमसी की ओर से वर्ष 2023 में एमबीबीएस की 100 सीट पर पहले वर्ष के लिए 50 फैकल्टी की अनिवार्यता की गई थी। इसके बाद साल दर साल फैकल्टी बढ़ाने का विकल्प था, लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है। पहले साल में फैकल्टी की अनिवार्यता 50 से बढ़ाकर 85 कर दी गई है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को बढावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। कोशिश थी कि प्रदेश में 1300 सीटें बढ़ जाएं। एनएमसी ने निरीक्षण के बाद मान्यता नहीं दी है। जिन कमियों की वजह से मान्यता रूकी है, उसे दूर किया जा रहा है। दोबारा अपील की जाएगी।– ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री
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