बाबूजी, ‘इस बारिश ने तो हमें तबाह कर दिया, क्या-क्या उम्मीदें लगाई थीं, सब पर पानी फिर गया। ये पीड़ा गेहूं की फसल बर्बाद होने से सदमे में आए खैर के गांव गोमत निवासी किसान प्रेमपाल की है। कहते हैं, कर्जा लेकर फसल की थी। सोचा था फसल बेचकर पुराना व नया दोनों कर्ज चुका देंगे। अब कोई आसार नजर नहीं आ रहे।

यह पीड़ा अकेले प्रेमपाल की नहीं। हर किसान की है। जिनकी फसल बारिश में बर्बाद हुई है। छर्रा के गांव दतावली निवासी मलखान सिंह के बेटे की अप्रैल में शादी है।
उनकी खुशियों पर बारिश ने ग्रहण लगा दिया। गेहूं की फसल में बड़ा नुकसान है। गांव जोफरी के मुकेश गौड़ बताते हैं कि आठ हेक्टेयर में आलू और सरसों बोई थी।
बारिश से करीब आधी फसल बर्बाद हो गई। उनका खेत अच्छादित एरिया में नहीं आता, इसीलिए फसल बीमा का भी लाभ नहीं मिलेगा। ढाई लाख का कर्जा चुकाना है। बच्चों का एडमिशन और भी कई काम कराने थे।
इगलास समेत पांचों तहसीलों में करीब 50 करोड़ के नुकसान का अनुमान है। सर्वाधिक इगलास, गौंडा व लोधा में हुआ है। सरसों और गेहूं की 35 से 40 प्रतिशत, आलू की 45 प्रतिशत से अधिक फसल बर्बाद हो गई।
हालांकि, प्रशासनिक स्तर से 26 करोड़, 55 लाख 76 हजार नुकसान का आकलन किया है। जिलेभर में 19672 हेक्टेयर क्षेत्र बारिश व ओलावृष्टि से प्रभावित हुआ। 49543 किसानों की 33 फीसद से अधिक फसल बर्बाद हो गई।
सुखवीर गौतम ने बताया 12 बीघा में आलू किए थे। होली से पहले बारिश से खेतों में पानी भर गया था। पानी सूख भी नहीं पाया कि दुबारा बारिश हो गई। आलू अब सडऩे लगा है।
गिरीज का कहना है 45 बीघा खेत पट्टे पर लेकर आलू की फसल की, जो बारिश से लगभग बर्बाद हो गई। आठ बीघा आलू ही खोदे हैं, बाकी खेत में पड़े हैं।
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