चीन-अमेरिका की टैरिफ जंग ऐसे समय में और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावनाएं तलाशी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थित्ति भारत के लिए स्पष्ट संदेश है कि अमेरिका के साथ कोई भी समझौता कभी अंतिम नहीं होता।
चाहे अमेरिका हो या चीन वैश्विक स्तर पर व्यापार को लेकर उनकी स्थिति भारत पर महत्वपूर्ण असर डालती है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से चीन पर 100 टैरिफ लगाने की घोषणा करते ही इस पर आकलन शुरू हो गया है कि भारत पर इसका क्या और कितना असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल, विंड टर्बाइन और सेमीकंडक्टर से जुड़े कलपुर्जे महंगे हो सकते हैं।
उधर निर्यातकों को भरोसा है कि चीन से वस्तुओं की आपूर्ति घटने पर अमेरिकी बाजार में भारत के लिए मौके बढ़ सकते हैं। अमेरिका-चीन के बीच ताजा व्यापार युद्ध बीजिंग के रेवर अर्थ मैटीरियल व अन्य दुर्लभ खनिजों के निर्यात को नियंत्रित करने के बाद भड़का है। ट्रंप ने इससे ही नाराज होकर चीन पर भारी टैरिफ लगाया है। चीन का फैसला भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए पहले ही एक चुनौती बन चुका है। चीन जहां भारत का सबसे बड़ा आयात स्रोत है, वहीं अमेरिका इसका सबसे बड़ा निर्यात केंद्र है। भारतीय व्यापार सेवा के पूर्व अधिकारी और थिंक टैंक जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि चीन अमेरिका व्यापार युद्ध से ईवी, पवन टर्बाइन और सेमीकंडक्टर पुर्जी की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका दुर्लभ खनिजों की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और कनाडा के साथ संबंधों को बढ़ाने कोशिश कर सकता है।
भारत को व्यापार सौदे में बरतनी होगी सावधानी
चीन-अमेरिका की टैरिफ जंग ऐसे समय में और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावनाएं तलाशी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थित्ति भारत के लिए स्पष्ट संदेश है कि अमेरिका के साथ कोई भी समझौता कभी अंतिम नहीं होता। विशेषज्ञों की सलाह है कि भारत को सावधानीपूर्वक और समान शर्तों पर बातचीत करनी चाहिए, पारस्परिकता सुनिश्चित करनी चाहिए और रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखनी चाहिए।
अमेरिकी बाजार में भारतीय माल की बढ़ सकती है मांग
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि चीन पर अधिक टैरिफ से मांग भारत की ओर स्थानांतरित हो सकती है। इस वृद्धि से हमें लाभ हो सकता है। भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 86 अरब डॉलर के सामान निर्यात किए हैं। एक कपड़ा निर्यातक ने कहा, अब चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने से हमें बढ़त मिलेगी। भारत के लिए अमेरिकी निर्यात बढ़ाने के बड़े अवसर पैदा होंगे। खिलौना निर्यातक मनु गुप्ता कहा कि चीनी वस्तुओं पर उच्च शुल्क से दोनों देशों के खरीदारों को ने आकर्षित करने में मदद मिलेगी।