- आध्यात्मिक फैशन का ट्रेंड युवाओं के सर चढ़ कर बोल रहा
- इनकी डिमांड होने के चलते तेजी से बढ़ रहा कारोबार
- रुद्राक्ष का कारोबार लगभग 5,000 करोड़ से 7000 करोड़ रुपए तक पहुंचा
हिंदू धर्म में सदियों से पूजा-पाठ, हवन जैसे शुभ कार्यो में रुद्राक्ष और तुलसी माला का प्रयोग किया जाता है। इन मालाओं के बिना कोई भी धार्मिक काम पूरा नहीं होता। अब तो साइंस के मुताबिक पूरी दुनिया में इन मालाओं के फायदे साबित हो चुके हैं। पुराने समय से इस बात को माना जा रहा है कि इन्हें पहनने से शरीर स्वस्थ और मन शांत रहता है। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदल सी गई है। लोग तुलसी की माला का इस्तेमाल सिर्फ फैशन की वजह से कर रहे हैं। अधिकतर लोगों को तुलसी की मान्यताओं के बारे में जानकारी तक नहीं है। इसके बावजूद उसे पहनकर घूमते रहते हैं। शहर में आजकल यंगस्टर्स जहां व्रत रखकर भक्ति में डूबे नजर आते हैं, तो वहीं स्प्रिचुअल फैशन में भी रमे हुए नजर आते हैं। फैशन के दौरा में सबसे ज्यादा एसेसरीज टॉप पर हैं। इसके चलते तुलसी माला और रुद्राक्ष माला इन दिनों यूथ का फैशन स्टेटमेंट बना हुआ है। फैशनेबल अंदाज में कैरी की जा रही इन एसेसरीज ने यंगस्टर्स का अंदाज भी डिफरेंट बना दिया है।
रीजन से नहीं फैशन से है मतलब
आज के समय में अधिकतर युवाओं की जिंदगी कई राहों पर उनके पांव बहकने, भटकने, लगे हैं। युवा जो कर रहे हैं उसके अंजाम या मंजिल का उन्हें न तो पता है और न ही उसके बारे में उन्हें सोचने की फुरसत है। बस जिज्ञासा, ख्वाहिश, शौक या फैशन के नाम पर कई लोगो ने टेढ़ी-मेढ़ी राहों को चुना है। या फिर तनाव और निराशा जैसी चीज ने जबरदस्ती उन्हें इन रास्तों पर धकेल दिया है। लोग कई आध्यात्मिक फैशन को अपना जरूर रहे हैं लेकिन उन्हें उसके बारे में कोई खास जानकारी उपलब्ध नहीं है। इंदिरानगर में रहने वाली आयुषी कहती हैं कि कॉलेज जाने के लिए मुझे फैशन के हर ट्रेंड से अपडेट रहना पड़ता है। आजकल इस तरह के स्प्रिचुअल फैशन बहुत कूल लगते हैं। इसलिए मैंने हाथों में रुद्राक्ष के ब्रेसलेट पहने हैं। वहीं प्राइवेट कंपनी में जॉब करने वाले मनीष शर्मा बताते हैं कि मुझे पता नहीं कि तुलसी माला क्यों पहनी जाती है । इसके क्या फायदे हैं लेकिन इसे पहन कर अच्छा फील होता है और मन को शांति मिलती है। इसके साथ ही देखने में भी सही लगता है।
बढ़ रहा है आध्यात्मिक कारोबार
आज के समय में लोगों की आस्था की वजह से धार्मिक वस्तुओं का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। अमीनाबाद में पूजा सामग्री और धर्म संबंधी की कई वस्तुओं के थोक विक्रेता हरीश सिंह बताते हैं, पिछले साल उत्तर भारत में धार्मिक वस्तुओं का कारोबार लगभग 5,000 करोड़ रुपये का था, जबकि इस साल यह लगभग 7,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इन लोगो में धार्मिक वस्तुओं की काफी मांग रहती है, साथ ही इनके अलावा, गोमती चक्र, कौडिय़ां, सिक्के, काली हल्दी, काक्षी नारियल, धातु के कछुए और ऋणमोचन मंगल यंत्र की काफी मांग है। मजे की बात यह है कि आस्था के आगे महंगे और सस्ते का अंतर खत्म हो जाता है हमारे यहां तो लोग आर्डर में इन मालाओं को बनवाते हैं। हरीश सिंह कहते हैं कि थोक बाजार में इनकी कीमत आकार के मुताबिक 15 से 125 रुपये के बीच है। इन यंत्रों को पंडित सिद्ध करते हैं और उसके बाद 125 रुपये के यंत्र की कीमत 1,100 रुपये से लेकर 5,100 रुपये तक वसूली जा सकती है। वहीं इस बाजार को टीवी के कई कार्यक्रमों और देर रात के एड से और बढ़ावा मिला है। धार्मिक वस्तुओं से जुड़े कारोबार में बढ़ौतरी का एक सबसे बड़ा कारण मीडिया में आने वाले रोज के नए कार्यक्रम हैं।
तुलसी और रुद्राक्ष माला के फायदे
आज की युवा पीढ़ी अगर आध्यात्मिक विचारों और उनकी चीजों को अपना रही है तो ये अच्छी बात है लेकिन उन सभी चीजो के बारे में जानकारी होना भी बेहद जरुरी है। ये कहना है ज्योतिषी और पंडित सुधांशु अवस्थी का। सुधांशु कहते हैं की गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला पर भगवान का नाम जाप करने से और गले में पहनने से जरुरी एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है। जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है । साथ ही शरीर स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है। वहीं रुद्राक्ष को शरीर में कहीं पहनने से रुद्राक्ष की खासियत यह है की यह ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं। इसीलिए रुद्राक्ष ऐसे लोगों के लिए बेहद अच्छा है जिन्हें लगातार यात्रा में होने की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ता है। साथ ही यह सभी नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखता है।