मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि भारत की परंपरा ज्ञान के आदान-प्रदान पर विश्वास करती है। जहां से भी अच्छा ज्ञान मिल सकता है उसको अंगीकार कर लें। सदा इसके लिए तैयार रहें। सबको जवाबदेही के साथ खुद को जोड़ें। उप्र में युवा शक्ति अगर चाह ले तो हमारा प्रदेश सबसे आगे आ जाएंगे।
इसके लिए नकल नहीं अक्ल की जरूरत है। मौका था, कालीचरण महाविद्यालय के 113वें स्थापना दिवस का। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवनिर्मित शताब्दी भवन का लोकार्पण किया। इस दौरान उनके साथ मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 113 साल पुरानी संस्था को आज नया जीवनदान दिया गया है। यही हमारी संस्कृति है। बीज अपने मूल स्वरूप में ही रहता है, वही पेड़ बन जाना एक संस्कृति है। लखनऊ के महानुभावों ने जो नींव रखी थी, वह आज वट वृक्ष बन गया है। नए भवन बनाकर बच्चों के लिए अच्छा काम हुआ है। जब ये कॉलेज शुरू हुआ तब दौर 1905 का था। तब बंगाल विभाजन हुआ था। तब उस साजिश को खत्म करने के लिए स्वदेशी और स्वाबलम्बन को आगे बढ़ाया गया।
तब इस कॉलेज की नींव रखी गई। उस दौरान यह एक प्राथमिक पाठशाला बना। बाद में 1913 में हाईस्कूल बना। इसकी नींव मजबूत थी, तभी यहां आज बड़ा भवन बना। हिंदी गद्य के पितामह बाबु श्यामसुंदर दास यहां प्राचार्य रहे। इस संस्था से निकले हुए छात्र आज मध्य प्रदेश के राज्यपाल हुए हैं। ऐसे अनेक नाम हैं। इन नामों ने देश दुनिया मे एक आदर्श पेश किया था। हजारों लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं।
शिक्षा केवल डिग्री और डिप्लोमा हासिल करने के लिए नहीं है। दवा कड़वी होती है मगर बीमारी दूर करती है। मगर दवा की जगह मीठा खाएंगे तो दिक्कत होगी। हमारी सरकार ने नकलविहीन करने, सत्र नियमित करने, स्कूल चलो अभियान और अन्य सारे कदम उठाएं हैं। युवा ऊर्जा का सही उपयोग करना होगा। सोशल मीडिया चुनौती है। ये घातक भी है और अच्छा भी है। अत्यंत निर्भरता आपको गलत दिशा में ले जाएंगे। मगर सकारात्मक परिणाम भी आएं हैं। मगर भ्रामक सूचनाएं भी आती हैं। उसका नियंत्रण भी जरूरी है। सचेत होने की जरूरत है।
अपनी विधायक निधि से करूंगा 25 लाख की मदद : उप मुख्यमंत्री
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टण्डन ने कहा कि आज बहुत प्रसन्नता हो रही है कि योगी जी भी इस मौके पर आए हैं। शताब्दी से ज्यादा कॉलेज को हो गए हैं। यहां बैठे लोग किसी न किसी रूप में कॉलेज से जुड़े रहे हैं। यहां लखनऊ में एजुकेशन की शुरुआत करने के लिए कालीचरण जी ने 1896 में अपनी निजी संपत्ति का दान किया था। पहले ये हाईस्कूल था, फिर इंटर हुआ। पहली बार यहां अंग्रेजी मीडियम का स्कूल बनाया गया। वो चाहते थे कि रोजगारपरक शिक्ष देना चाहते थे।
मैं यहां का छात्र रहा हूं। सामाजिक और राजनीतिक लड़ाई का संचालन यहां से होता था। अमृत लाल नागर यहां के थे। वीएन पूरी अंतरराष्ट्रीय इतिहासकार रहे। खेल और साहित्य में नाम करने वाले लोग रहे है। यहां की प्रबंध समिति ने कभी कॉलेज का लाभ नहीं उठाया। सभी ने दान दिया है। कालीचरण कॉलेज को ड्रीम्ड यूनिवर्सिटी बनाने के लिए पूरी कोशिश होगी। जल्द ही पुस्तकालय और प्रयोगशाला बनवाई जाएगी।
उधर, राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने 25 लाख और विधायक सुरेश श्रीवास्तव ने 20 लाख की मदद करने की घोषणा की है। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस कॉलेज का इतिहास बच्चे पढ़ेंगे तो उनमें राष्ट्रवाद की भावना पैदा होगी।