सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन को सूर्य की संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को मिथुन संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक पर्वों में से एक है। यह पर्व वर्षा ऋतु के आगमन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

सभी संक्रांति को दान-पुण्य के लिए शुभ माना जाता है। मिथुन संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और धरती मां की भी पूजा की जाती है। मिथुन संक्रांति पर जरूरतमंदों को वस्त्रों का दान करना चाहिए। इस दिन सिलबट्टे की भूदेवी के रूप में पूजा होती है। सिलबट्टे को दूध और जल से स्नान कराया जाता है। गरीबों को दान किया जाता है।
संक्रांति के दिन घर के पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन किसी भी तरह का कृषि कार्य नहीं किया जाता है। लोगों का मानना है इस दिन भूमि को पूरी तरह से आराम देना चाहिए। इस पर्व के जरिए पहली बारिश का स्वागत किया जाता है। उड़ीसा में इस दिन को त्योहार की तरह मनाया जाता है, जिसे राजा परबा कहा जाता है। इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
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