भगवान शनिदेव को सभी ग्रहों में न्याय का देवता माना गया है। शनि मनुष्य को अच्छे और बुरे दोनों तरह के फल देते हैं। शनि जब अशुभ होते हैं तो मनुष्य का जीवन कष्ट से भर देते हैं। हर तरह की समस्याओं से मनुष्य घिर जाता है। उसे इन समस्याओं से बाहर निकलने का मार्ग भी नहीं नजर आता है। मनुष्य बुरी प्रकार से हताश और दुखी हो जाता है। शनि की चाल बेहद ही धीमी है। इस वजह से जब शनि अशुभ होते हैं तो काफी वक़्त तक फल प्रदान करते हैं।
शनिदेव का स्वभाव अन्य ग्रहों से पूरी तरह भिन्न है। शनि की चाल धीमी है। ये प्रत्येक काम को बेहद ही धीमी रफ़्तार से करते हैं। लाभ भी अगर देना होगा तो शनि आहिस्ता-आहिस्ता और देर से प्रदान करते हैं। शनि मनुष्य को आलसी भी बनाते हैं। इसके साथ-साथ शनि शुभ हों तो मनुष्य को कठोर मेहनत करना वाला भी बनाते हैं। शनि की साढ़ेसाती तथा शनि की ढैय्या के चलते ऐसा कहा गया है कि शनिदेव शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं। साढ़ेसाती तथा ढैय्या के चलते मनुष्य को नौकरी, करियर तथा बिजनेस से संबंधित समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
मिथुन एवं तुला राशि पर इस वक़्त शनि की ढैय्या चल रही है। वहीं धनु राशि, मकर राशि तथा कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनिदेव की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए महादेव तथा प्रभु श्रीकृष्ण की आराधना करनी चाहिए। इसके साथ-साथ हनुमान जी की आराधना से शनिदेव शांत होते हैं। शनिवार को शनि का दान देना भी उचित माना गया है। 11 मार्च को महाशिवरात्रि का त्यौहार आ रहा है। इस दिन महादेव की आराधना करने से भी शनिदेव शांत होते हैं।