म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के नरसंहार की रिपोर्टिंग करने वाले रायटर एजेंसी के दो पत्रकारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन पत्रकारों ने रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार की रिकॉर्डिंग की थी, जो म्यांमार में गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन हैं। रायटर के दोनों पत्रकारों को अब म्यांमार में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। पुलिस ने इन्हें सबूतों के साथ गिरफ्तार किया था।
जज ये लविन ने बुधवार को रायटर के दोनों पत्रकारों पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया। लगभग तीन महीने के दौरान 17 लोगों की गवाही सुनने के बाद जज लविन ने यह निर्णय लिया कि दोनों पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रर्याप्त सबूत मौजूद हैं। इन दोनों ने नियमों का उल्लंघन किया है। हालांकि पत्रकारों का कहना है कि वह सिर्फ अपना काम कर रहे थे। बता दें कि रायटर के पत्रकारों 31 वर्षीय लोन और 27 वर्षीय ओ को गत 12 दिसंबर को हिरासत में लिया गया था। उन्होंने रायटर के लिए म्यांमार के रखाइन प्रांत में सेना की दमनात्मक कार्रवाई के कारण देश छोड़कर भाग रहे रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर रिपोर्टिंग की थी।
कोर्ट में जज ने जैसे ही पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा चलाने का फैसला सुनाया, वैसे ही उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हालांकि कोर्ट के बाद दर्जनों लोग जमा थे, जो कोर्ट के फैसले की आलोचना कर रहे थे। एक पत्रकार ने कहा कि यह कहां का न्याय है कि एक हत्यारे को 10 साल की सजा होती है और इन्हें (पत्रकारों) 14 साल की सजा हो सकती है।
गौरतलब है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हमले हुए थे, जिसके बाद लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश में शरण ली थी। सरकार के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिमों के हमलों में 163 लोगों की मौत हो गई और 91 लोग लापता हो गये। म्यांमार सरकार का यह बयान म्यांमार में हिंदुओं के 45 शव मिलने के बाद आया है। सरकार ने इसके लिए मुस्लिम विद्रोहियों को जिम्मेदार ठहराया है।