होली में अभी दो दिन शेष है इस बीच क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा किए गए नए अध्ययन ने चिंताजनक तस्वीर पेश की है। रंगों का यह जीवंत त्योहार जो परंपरागत रूप से मार्च के अंत में मनाया जाता है इस बार चिलचिलाती गर्मी की चपेट में आ सकता है। देश के नौ राज्यों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है।
होली में अभी दो दिन शेष है, इस बीच क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा किए गए नए अध्ययन ने चिंताजनक तस्वीर पेश की है। रंगों का यह जीवंत त्योहार, जो परंपरागत रूप से मार्च के अंत में मनाया जाता है, इस बार चिलचिलाती गर्मी की चपेट में आ सकता है। देश के नौ राज्यों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है। इस अध्ययन के अनुसार, इस संभावित गर्मी का कारण जलवायु परिवर्तन है।
पूरे देश में तेजी से बढ़ रहा तापमान
शोधकर्ताओं ने देश भर में तापमान डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें मार्च और अप्रैल, होली वाले महीनों पर ध्यान केंद्रित किया गया। उनके निष्कर्षों से एक परेशान करने वाला रुझान सामने आया है- पूरे देश में महत्वपूर्ण रूप से तापमान बढ़ रहा है, खासकर हाल के दशकों में।
तापमान में देखा जा रहा बड़ा बदलाव
क्लाइमेट सेंट्रल के विज्ञान विभाग के उपाध्यक्ष डा एंड्रयू पर्शिंग ने कहा कि तापमान में अचानक बड़ा दलाव देखा जा रहा है। सर्दियों जैसे तापमान से सीधे बहुत गर्म परिस्थितियों में बदलाव चिंताजनक है। भारत में तापमान में यह वृद्धि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का एक स्पष्ट संकेत हैं। अध्ययन न केवल समग्र तापमान वृद्धि का विश्लेषण करता है बल्कि होली के दौरान अत्यधिक गर्मी की घटनाओं के बढ़ते जोखिम का भी विश्लेषण करता है।
इन राज्यों में तापमान पहुंच सकता है 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर
1970 के दशक की शुरुआत में, मार्च के अंत में 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान का सामना करना बेहद दुर्लभ था। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और बिहार में ऐसे तापमान का अनुभव होने की संभावना पांच प्रतिशत से अधिक है। विश्लेषण से पता चला कि 40 डिग्री सेल्सियस पहुंचने की संभावना तब से बढ़कर नौ राज्यों तक बढ़ गई है- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, ओडिशा और आंध्र प्रदेश।
महाराष्ट्र में सबसे अधिक 14 प्रतिशत संभावना
महाराष्ट्र में सबसे अधिक 14 प्रतिशत संभावना है। इस परिवर्तन को दिखाने के लिए, शोधकर्ताओं ने मार्च और अप्रैल में वार्मिंग दर के बीच अंतर की गणना की, जिसे 1970 के बाद से औसत तापमान में परिवर्तन के रूप में व्यक्त किया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि कुल 37 शहरों में अब 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान का अनुभव करने की कम से कम एक प्रतिशत जबकि 11 शहरों में 10 प्रतिशत या उससे अधिक संभावना है।
सबसे अधिक जोखिम वाले 15 शहर मध्य भारत में
विश्लेषण से पता चला कि मदुरै को छोड़कर, चार डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान का सबसे अधिक जोखिम वाले 15 शहर मध्य भारत में है। बिलासपुर में सबसे अधिक 31 प्रतिशत जोखिम है और इसके 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना अब 1970 के दशक की तुलना में 2.5 गुना अधिक है। इंदौर में 8 प्रतिशत संभावना के साथ बड़ा बदलाव दिखाता है, जो पहले की तुलना में 8.1 गुना अधिक है।
क्लाइमेट सेंट्रल ने क्या कहा?
क्लाइमेट सेंट्रल ने कहा कि मार्च व अप्रैल पूरे भारत में गर्म हो रहे हैं। माना गया है कि प्रत्येक क्षेत्र में मार्च और अप्रैल दोनों के दौरान नेट वार्मिंग थी। मार्च के दौरान, उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में सबसे तेज गर्मी होती है, 1970 के बाद मार्च में सबसे बड़ा परिवर्तन जम्मू और कश्मीर (2.8 डिग्री सेल्सियस) में हुआ है।
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष-मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, महेश पलावत ने कहा कि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बढ़ते पारे के स्तर के पीछे जलवायु परिवर्तन है। मार्च में लू दुर्लभ थीं लेकिन बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के साथ, लू की संभावना या उच्च तापमान में वृद्धि हुई है। हमें इस साल भी ऐसी ही मौसम की स्थिति देखने को मिलेगी। यह प्रवृत्ति आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी और हमें आगे भीषण गर्मी के मौसम के लिए तैयार रहना चाहिए।