साइबर सिक्योरिटी फर्म Which? ने दावा किया है कि दुनिया भर के 1 अरब से ज्यादा एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में खामियां हैं. इन स्मार्टफोन्स में सिक्योरिटी अपडेट्स नहीं दिए जाते हैं जिसकी वजह से इन्हें हैक किया जा सकता है.
इस साइबर सिक्योरिटी वॉच डॉग ने कहा है कि 2012 या इससे पहले लॉन्च किए गए एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूजर्स के लिए ये ज्यादा गंभीर समस्या है. अब तक गूगल ने इस रिपोर्ट पर कोई भी बयान जारी नहीं किया है.
इस सिक्योरिटी वॉच डॉग ने गूगल सहित एंड्रॉयड स्मार्टफोन कंपनियों पर भी सवाल खड़े किए हैं. इस एजेंसी का कहना है कि मोबाइल कंपनियों को सॉफ्टवेयर अपडेट को लेकर यूजर्स के साथ ट्रांसपेरेंट होने की जरूरत है.
आमतौर पर स्मार्टफोन कंपनियां कितने भी महंगे स्मार्टफोन क्यों न हों, लेकिन ये साफ नहीं करती हैं कि आपको कितने सालों तक एंड्रॉयड अपडेट मिलता रहेगा. ज्यादातर एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में दो से तीन साल के बाद ही अपडेट मिलने बंद हो जाते हैं.
बीबीसी एक रिपोर्ट के मुताबिक गूगल का डेटा ये खुद कहता है कि दुनिया भर के 42.1% एंड्रॉयड यूजर्स के पास Android 6.0 या इससे नीचे के वर्जन हैं.
सिक्योरिटी वॉच डॉग Which? ने अपनी स्टडी में पाया है कि दुनिया भर के 5 में से 2 एंड्रॉयड यूजर्स को अब सिक्योरिटी अपडेट्स नहीं दिए जाते हैं.
इस एजेंसी ने पांच स्मार्टफोन्स की टेस्टिंग की है. इनमें Moto X, Samsung Galaxy A5, Sony Xperia Z2, Nexus 5 और Samsung Galaxy S6 शामिल हैं.
Which? ने कहा है कि इसे चेक करने के लिए एंटी वायरस लैब AV Comparives की मदद ली गई. इस एजेंसी ने इन पाचों स्मार्टफोन्स को मैलवेयर से प्रभावित किया और सभी फोन में मैलवेयर आसानी से इंजेक्ट कर दिया गया.
इस सिक्योरिटी वॉचडॉग का कहना है कि मोबाइल कंपनियों को अपने यूजर्स के सपोर्ट में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक Which? एजेंसी के कंप्यूटिंग एडिटर ने कहा है, ‘ये अजीब है कि महंगे स्मार्टफोन की लाइफ भी छोटी रह गई है, इनमें जल्दी ही सिक्योरिटी अपडेट्स मिलने बंद हो जाते हैं. इस वजह से लाखों लोग हैकिंग के चपेट में आ सकते हैं.
इससे कैसे बचा जा सकता है?
इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं है. अगर फोन में Android 6 या इससे पहले का सॉफ्टवेयर और अपडेट नहीं मिलते तो नए फोन लेने का वक्त आ गया है.
अगर नया फोन नहीं लेना चाहते हैं तो अपने स्मार्टफोन को चलाने में सावधानी बरतें. यानी कोई भी ऐप डाउनलोड करने से बचें और ऐसी वेबसाइट ऐक्सेस न करे जिसमें संदेह वाले कॉन्टेंट होते हैं.