13 दिन बाद 24 फरवरी को रूस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध (russia ukraine war update) को एक साल पूरा हो जाएगा। इस महा विनाशकारी युद्ध में हजारों लोगों की जान जा चुकी है। लाखों की संख्या में लोग बेघर हो गए और अरबों-खरबों की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। यूक्रेन के खूबसूरत शहर श्मशान घाट में तब्दील हो गए हैं लेकिन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। यू्क्रेन और रूस के बीच जंग को लेकर अब अमेरिका ने नया बयान जारी किया। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी से जब पूछा गया कि दोनों देशों के बीच युद्ध कैसे रोका जा सकता है तो उन्होंने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्य को कर सकते हैं। वह पुतिन को इसके लिए मना सकते हैं।

व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, “मैं पीएम (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) को बोलने दूंगा कि वह जो भी प्रयास करने को तैयार हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका किसी भी प्रयास का स्वागत करेगा, जिससे यूक्रेन में शत्रुता समाप्त हो सकती है।” वह उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या पीएम मोदी के लिए यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को रोकने या राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को समझाने में बहुत देर हो चुकी है?
जॉन किर्बी ने आगे कहा, “मुझे लगता है कि युद्ध को रोकने के लिए पुतिन के पास अभी भी समय है। मुझे लगता है कि पीएम मोदी पुतिन को मना सकते हैं। मैं पीएम मोदी को कहूंगा वह जो भी प्रयास करें, हम स्वागत करते हैं।” व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा, “हमें लगता है कि युद्ध आज खत्म हो सकता है और होना भी चाहिए।” व्हाइट हाउस का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के एक दिन बाद यह बयान आया है।
किर्बी ने कहा, “यूक्रेनी लोगों के साथ जो हो रहा है उसके लिए एकमात्र जिम्मेदार व्यक्ति व्लादिमीर पुतिन हैं और वह इसे अभी रोक सकते हैं। इसके बजाय, वह क्रूज मिसाइलों से यूक्रेन में ऊर्जा और बिजली के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से कई बार बात की है। उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के मौके पर, पीएम मोदी ने पुतिन से कहा था, “मैं जानता हूं कि आज का युग युद्ध का नहीं है। हमने इस मुद्दे पर आपके साथ कई बार फोन पर चर्चा की, कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद पूरी दुनिया को छूते हैं।”
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