माघ मेला-2020 के दौरान श्रद्धालुओं और संतों को निर्मल और स्वच्छ गंगा जल उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई 40 नालों की अस्थाई रूप से टैपिंग करा रहा है। 25 दिसंबर से नाले का पानी बायोरेमेडिशन पद्धति से शोधित होकर नदी में छोड़ा जाएगा। 
40 नालों से 138 एमएलडी गंदा पानी सीधे गंगा-यमुना नदियों में जा रहा है
संगम नगरी में छोटे-बड़े कुल 82 नालें हैं। उसमें से 42 नालों की टैपिंग हो चुकी है। छह एसटीपी में 268 एमएलडी (मीलियन लीटर प्रतिदिन) गंदे पानी का शोधन हो रहा है। शेष 40 नालों से 138 एमएलडी गंदा पानी सीधे गंगा यमुना में जा रहा है। मेले के दौरान इन नालों का गंदा पानी नदी में नहीं गिरेगा। बायोरेमेडिशन पद्धति से नैनी, झूंसी और फाफामऊ के 20 और शहर के 20 नालों का पानी शोधित होगा। यह प्रक्रिया दो माह तक चलेगी। इस कार्य में लगभग एक करोड़ रुपये इस पर खर्च होंगे।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक बोले
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई प्रयागराज के महाप्रबंधक पीके अग्रवाल का कहना है कि आज यानी बुधवार से किसी भी नाले का पानी सीधे नदी में नहीं जाएगा। जो नाले टैप नहीं हैं, उनके पानी को बायोरेमेडिएशन पद्धति से शोधित किया जाएगा। माघ मेले तक यह व्यवस्था रहेगी।
यह हैं प्रमुख नालें
राजापुर नाला, चाचर नाला, क्रिया योग आश्रम, लौटे हरण नाला, धोबीघाट नाला, सदर बाजार नाला, बसना नाला, शिवकुटी का नाला, सच्चा बाबा आश्रम नाला, मविया नाला, महेवा घाट नाला, चाचर नाला, करेला बाग नाला आदि।
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