माघ मेला क्षेत्र में कल्पवास के साथ ही शिविरों में हवन यज्ञ की शुरुआत भी हो गई है। कहीं सुंदरकांड पाठ और वेदपाठ हो रहा है तो शिविर में सामूहिक मंत्रजाप कर देवी देवताओं का आह्वान किया जा रहा है। ऐसा संन्यासियों का मानना है कि हवन, यज्ञ और मंत्रजाप होते ही देव प्रसन्न होकर बस जाते हैं। इससे जनकल्याण होता है और नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण होता है। सांसारिक जीवन में सुख समृद्धि, परिवार में शांति और व्यापार में उत्तरोत्तर वृद्धि भी होती है।
यज्ञ, दान और तप, तीनों ही श्रेष्ठ कर्म हैं
माघ मेला क्षेत्र में महावीर मार्ग से सटे सरस्वती मार्ग पर मीरा सत्संग मंडल का शिविर लगा है। सत्संग मंडल के अध्यक्ष शिव योगी मौनी सहित अन्य संन्यासियों ने हवन यज्ञ किया। मानस की पंक्तियों ‘देव दनुज किन्नर नर श्रेणी, सादर मज्जहि सकल त्रिवेणी’ की व्याख्या करते हुए शिव योगी मौनी ने कहा कि हवन यज्ञ और मंत्र जाप की शक्ति इन सभी को एक स्थान पर वास कराती है। यज्ञ से वृद्धि होती है, वृष्टि से धरती और किसान खुशहाल होते हैं। यज्ञ, दान और तप, तीनों ही श्रेष्ठ कर्म हैं।
गणपति अथर्व शिष्य यज्ञ शुरू
संगम नोज पर लगे गंगा सेना के शिविर में गणपति अथर्व शिष्य यज्ञ की शुरुआत हो चुकी है। इसमें प्रथम आराध्य देव गणपति की आराधना, इसके बाद लक्ष्मी नारायण महायज्ञ, शतचंडी महायज्ञ, रुद्र चंडी और श्रीराम यज्ञ होंगे। गंगा सेना के अध्यक्ष स्वामी डॉ. आनंद गिरि ने यज्ञ को तरंग की टेलीपैथी बताते हुए कहा कि जिस प्रकार किसी व्यक्ति से बात करने के लिए उसे टेलीफोन करना होता है और बात हो जाती है ठीक वही बात सनातन धर्म पर भी लागू होती है। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति के महामंत्री स्वामी ब्रह्माश्रम ने बताया कि उनके शिविर में यज्ञ की शुरुआत हो गई है, भागवत कथा भी होगी।
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