मां का सपना था कि बेटी जज बने। आर्थिक तंगी से निबटने मां ने एक होटल में कुक की नौकरी शुरू की,ताकि घर की जरूरतें पूरी हो सकें और बिटिया पढ़ाई कर सके। आखिरकार बेटी ने जज बनकर मां का सपना पूरा किया। सिविल जज का रिजल्ट देखते ही बिटिया सीधे होटल पहुंची और खाना पका रही मां से कहा घर चलो, मैं जज बन गई, अब आपको होटल में काम नहीं करना पड़ेगा। दरअसल, मां ने बेटी के सामने शर्त रखी थी कि जज बनने के बाद ही वह कुक की नौकरी छोड़ेंगी।
फेल होने के बाद भी नहीं छोड़ा हौंसला
बात हो रही है रविवार को सिविल जज की परीक्षा पास करने वाली रांझी निवासी शिवदास-जया झारिया की बेटी चेतना की। यह मुकाम हासिल करने के लिए चेतना को भी काफी संघर्ष करना पड़ा। चेतना ने 9वीं कक्षा से ही होम ट्यूशन देकर स्वयं की पढ़ाई का खर्च निकालना शुरू कर दिया था। 12वीं में एक बार फेल होने के बाद भी हौसला नहीं छोड़ा। दूसरी बार प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बीए-एलएलबी में एडमिशन लिया।
पहले प्रयास में ट्रांसलेटर, तीसरे में पास की जज की परीक्षा
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टारगेट प्राइमरी, कंडीशन सेकेंडरी-
छलके खुशी के आंसू
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