उद्धव ठाकरे ने मुंबई में विरोध प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस पर भ्रष्ट मंत्रियों को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने योगेश कदम, संजय शिरसाट, माणिकराव कोकाटे और संजय राठौड़ के खिलाफ भ्रष्टाचार और अनुचित गतिविधियों के आरोप दोहराए।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे अपनी कैबिनेट में मौजूद भ्रष्ट मंत्रियों को बचा रहे हैं। ठाकरे का दावा है कि महायुति सरकार ने राज्य को विकास में आखिरी पायदान पर और भ्रष्टाचार में पहले स्थान पर पहुंचा दिया है। यह आरोप उन्होंने मुंबई में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान लगाया।
मुंबई में आयोजित इस विरोध प्रदर्शन का मकसद कथित भ्रष्ट मंत्रियों को पद से हटाना था। ठाकरे ने कहा कि पार्टी ने ऐसे ही विरोध पूरे राज्य में किए हैं और यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक इन मंत्रियों को बर्खास्त नहीं किया जाता। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि जनता तक महायुति के मंत्रियों की भ्रष्ट गतिविधियों की जानकारी पहुंचाएं। ठाकरे का आरोप है कि सरकार को सबूत सौंपने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आरोपों की लंबी सूची
ठाकरे ने कई मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मंत्री योगेश कदम अपनी मां के नाम से डांस बार चला रहे हैं, जबकि मंत्री संजय शिरसाट के खिलाफ एक वीडियो में कथित रूप से कैश से भरा बैग दिखा। शिरसाट ने आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि बैग में केवल कपड़े थे। मंत्री माणिकराव कोकाटे पर विधान परिषद में रमी खेलने और किसानों पर असंवेदनशील टिप्पणी करने के आरोप हैं। वहीं, मंत्री संजय राठौड़ पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और पुराना उदाहरण
ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस के पास इन मंत्रियों को हटाने की हिम्मत नहीं है, जबकि उनके पास बहुमत है। उन्होंने याद दिलाया कि 1995-99 में जब शिवसेना-भाजपा की सरकार थी, तब बाल ठाकरे ने भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर पांच मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया था। ठाकरे का कहना है कि अब की सरकार में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। उन्होंने भाजपा मंत्री गिरीश महाजन का नाम कथित हनीट्रैप मामले में भी जोड़ा।
केंद्र सरकार पर भी निशाना
ठाकरे ने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि धनखड़ के इस्तीफे की कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई और उनकी गुमशुदगी पर जानकारी दी जानी चाहिए। धनखड़ ने 22 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दिया था, लेकिन विपक्ष ने इस कदम पर सवाल खड़े किए हैं।