महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश जारी किया है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर चुनाव रोकने की मांग वाली याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है और स्पष्ट कहा कि चुनाव प्रक्रिया तय समय पर ही पूरी होगी। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन 40 नगर परिषदों और 17 नगर पंचायतों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है, उनके चुनाव परिणाम सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (28 नवंबर) को कई वर्षों से लंबित स्थानीय निकाय चुनावों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण के संबंध में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि जिन स्थानीय निकायों में चुनाव की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है, वहां 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की घोषणा न की जाए।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ओबीसी आरक्षण से संबंधित उन रिट याचिकाओं पर आज सुनवाई कर रही थी, जिनमें स्थानीय निकायों में कुल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक होने पर सवाल उठाए गए हैं।
सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने पीठ को बताया कि 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायतों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और मतदान 2 दिसंबर को होना है। इनमें से 40 नगर परिषद और 17 नगर पंचायत ऐसे हैं जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, बीएमसी समेत 29 महानगरपालिकाओं, 32 जिला परिषदों और 346 पंचायत समितियों के चुनाव की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जिन निकायों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पहले ही घोषित हो चुका है, उनके चुनाव तो तय समय पर होंगे, लेकिन उनके नतीजे अदालत में लंबित रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले पर निर्भर रहेंगे। पीठ ने इन मामलों को तीन जजों की बेंच के पास भेजते हुए अगली सुनवाई 21 जनवरी को तय की।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को शेष स्थानीय निकायों के चुनाव की अधिसूचना जारी करने की भी अनुमति दी। साथ ही यह भी कहा कि उन चुनावों में 50% से अधिक आरक्षण नहीं होना चाहिए।
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