महाराष्ट्र एटीएस ने परवेज जुबैर नाम के संदिग्ध को किया गिरफ्तार किया है. एटीएस के मुताबिक वो लंबे समय से फरार था और सेंट्रल एजंसी से मिले इनपुट के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है.
महाराष्ट्र एटीएस को एक बड़ी कामयाबी मिली है. एटीएस ने टेरर फंडिंग के मामले में परवेज जुबैर नाम के संदिग्ध को गिरफ्तार है. इसकी UAPA के तहत गिरफ्तारी की गई.परवेज डी कम्पनी के लिए टेरर फंडिंग करते हुए लगातार अनीस इब्राहिम के सम्पर्क में था और डी कंपनी के लिए टेरर फंडिंग कर रहा था. सूत्रों के मुताबिक परवेज बहुरूपिया बनकर अलग अलग नामों से डी कम्पनी में जाना जाता था. एटीएस के मुताबिक वो लंबे समय से फरार था और सेंट्रल एजंसी से मिली स्पेसिफिक इनपुट के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया.
इधर बंबई उच्च न्यायालय ने 2015 में हुई सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या मामले की जांच सीआईडी से लेकर महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी है. इससे पहले महाराष्ट्र के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि अगर जांच आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को सौंपी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है. एक विशेष टीम द्वारा जांच किए जाने के अनुरोध को लेकर पानसरे के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक याचिका पर उच्च न्यायालय की ओर से आदेश पारित किये जाने के बाद 2015 में सीआईडी के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था. पानसरे की फरवरी 2015 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
‘SIT ने मामले में नहीं की कोई प्रगति’
पानसरे के परिजनों ने सोमवार को होई कोर्ट को बताया कि एसआईटी ने पिछले सात वर्षों में मामले में कोई प्रगति नहीं की है. उन्होंने मामले को एटीएस को सौंपने का अनुरोध किया था. एसआईटी के वकील अशोक मुंदरगी ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमर्ति शर्मिला देशमुख को बताया कि सीआईडी प्रमुख ने यह कहते हुए एक पत्र प्रस्तुत किया है कि चूंकि एटीएस भी राज्य सरकार की एक जांच एजेंसी है, इसलिए यदि जांच उसे सौंपी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है.
मामले में इन लोगों को किया गया है गिरफ्तार
पानसरे परिवार के वकील अभय नेवागी ने न्यायाधीशों को बताया था कि वह एटीएस ही था जिसने पानसरे, तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर, कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं की जांच में प्रगति हासिल करते हुए औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले में 2020 में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था. 2020 के मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने वैभव राउत, शरद कालस्कर और सुधनवा गोंधलेकर को गिरफ्तार किया था.