महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ पर सीएम योगी का बड़ा बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रयागराज में महाकुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की, जिससे पीड़ितों को चिकित्सा सहायता सुनिश्चित हुई और व्यापक स्तर पर अफरा-तफरी फैलने से रोका गया।

राजधानी लखनऊ में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के अधिकारियों और भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि हमने इस घटना को अत्यधिक उजागर नहीं होने दिया, क्योंकि उस समय प्रयागराज और कुंभ मेला क्षेत्र में 8 करोड़ श्रद्धालु और संत मौजूद थे, तथा अफरा-तफरी से स्थिति और खराब हो सकती थी। महाकुंभ के प्रमुख स्नान दिवस मौनी अमावस्या पर संगम घाट पर हुई भगदड़ में कम से कम 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए थे।

ऐसे आयोजनों में अक्सर दो बड़ी चुनौतियां सामने आती: CM योगी
मिली जानकारी के मुताबिक, आदित्यनाथ ने कहा कि लाखों श्रद्धालुओं के अलावा, 13 अखाड़ों के संतों को भी उस सुबह अमृत स्नान करना था। उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजनों में अक्सर दो बड़ी चुनौतियां सामने आती हैं- संतों के बीच स्नान का क्रम तय करना, जिससे ऐतिहासिक रूप से विवाद होते रहे हैं, और यह सुनिश्चित करना कि अनुष्ठान सुबह 4 बजे निर्धारित समय पर सुचारू रूप से हो।

भगदड़ की इस घटना के बावजूद, सभी अखाड़े स्नान के लिए तैयार थे, लेकिन प्रशासन ने कार्यक्रम को स्थगित करने के लिए हस्तक्षेप किया। आदित्यनाथ ने कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से उनसे स्थिति को संभालने के लिए अनुष्ठान को स्थगित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने भीड़ पर कड़ी निगरानी रखी, दोपहर तक संगम क्षेत्र को खाली करा लिया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि स्नान अपराह्न 2:30 बजे तक फिर से शुरू हो जाए।

इस साल 66 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री इस विशाल आयोजन में हुए शामिल
मुख्यमंत्री ने प्रभावी संकट प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कठिन परिस्थितियों में कई लोग घबरा जाते हैं और हार मान लेते हैं, लेकिन हमें धैर्य और नियंत्रण के साथ दृढ़ निर्णय लेने की शक्ति विकसित करनी चाहिए।” मुख्यमंत्री ने महाकुंभ के आयोजन के दौरान भक्तों, संतों और प्रशासनिक अधिकारियों सहित तमाम हितधारकों के बीच समन्वय पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से व्यवस्था बनाए रखने और कार्यक्रम के सुचारू निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए बातचीत शुरू की। महाकुंभ प्रत्येक 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, जिसमें दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्री आते हैं, जिससे अधिकारियों के लिए भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, इस साल 66 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री इस विशाल आयोजन में शामिल हुए।

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