उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति भस्म आरती अनुमति एवं लड्डू प्रसादी वितरण को हाईटेक करने जा रही है। इसके लिए प्रबंध कर लिए गए हैं। जल्द ही मंदिर में मशीनों को लगाने का काम किया जाएगा और इसके साथ ही इसकी शुरूआत कर दी जाएगी। यही नहीं मंदिर समिति लड्डू प्रसादी को कापीराइट एक्ट के तहत पंजीयन कराने की तैयारी भी कर रही है।
मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ बताते हैं कि भस्मार्ती अनुमति को लेकर अनाधिकृत एवं फर्जी तरीके से अनुमति एवं प्रवेश के मामलों को रोकने के लिए मंदिर समिति आरएफआईडी बैंड का सहारा लेने जा रही है। इसी तरह से मंदिर समिति के 400 रुपये किलो की लड्डू प्रसादी को बाजार में 600 रुपये किलो में बेचने वालों पर रोक लगाने के लिए समिति एटीएम मशीन लगा रही है।
लड्डू प्रसादी का कापीराइट एक्ट के तहत पंजीयन करवाने की तैयारी की जा रही है। याद रहे कि यह लड्डू प्रसादी शहर में ही नहीं बाहर भी श्रद्धालुओं की पसंद है। ऐसे में लोग इसे यहां से लाट में जाकर व्यापार करने लगे हैं। इसके लिए वे अपने मार्का के बाक्स में हमारे लड्डू डालकर महंगे दाम में बेच रहे हैं। जबकि मंदिर में यह प्रसादी नो लास नो प्रॉफिट के आधार पर प्रसादी दी जाती है। इसके लिए हमने कापीराइट पंजीयन की तैयारी कर ली है। बहुत ही जल्द मंदिर समिति अपनी लड्डू प्रसादी का एक्ट के तहत पंजीयन करवा लेगा और इसके बाद ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा सकेगी।
जल्द लगेंगे लड्डू एटीएम
मंदिर समिति लड्डू प्रसादी के काउंटर की बजाय अब इस काम को भी हाईटेक करने जा रही है। एटीएम मशीन की तर्ज पर मंदिर के भोपाल के भक्त की ओर से दी गई 5-जी हाईटेक लड्डू प्रसादी मशीन लगाने की तैयारी कर ली गई है। बकौल प्रशासक धाकड़ मशीनें कोयंबटूर से उज्जैन आई हैं। जल्द ही इन दो मशीनों को मंदिर परिसर में ही इंस्टाल करवाया जाएगा। इन मशीनों से 24 घंटे में कभी भी श्रद्धालु लड्डू प्रसादी ले सकेंगे। मशीन के क्यूआर कोड को स्कैन कर भुगतान करने और नकदी भुगतान पर संबंधित को भुगतान की एवज में उतने वजन की लड्डू प्रसादी मिलेगी। श्रद्धालुओं को 100 ग्राम लड्डू प्रसादी 50 रुपये, 200 ग्राम 100 रुपये, 500 ग्राम 200 रुपये और एक किलो प्रसादी 400 रुपये में मिलेगी।
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन रिस्ट बैंड
भस्मार्ती अनुमति के लिए मंदिर समिति हाईटेक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन रिस्ट बैंड का उपयोग करने जा रही है। इस पर बने बार कोड को पढ़ने के लिए रीडर टूल का उपयोग करना होता है। यह वायरलेस टेक्नोलॉजी है। आरएफआईडी टैग या स्मार्ट लेबल में एनकोड किए गए डेटा को रीडर टूल की मदद से पढ़ा जाता है। प्रशासक धाकड़ बताते हैं कि नागपुर से रिस्ट स्ट्रीप कागज का रोल जल्द मंदिर पहुंच जाएगा। इंदौर की कंपनी को ठेका दिया गया था। उन्होंने अपनी तैयारी पूरी कर ली है, इसके लिए बना एप, कम्प्यूटर, स्कैनर और प्रिंटर अगले सप्ताह तक मंदिर में इंस्टाल हो जाएंगे, टेस्टिंग के बाद भस्म आरती में प्रवेश आरएफआईडी से ही होगा। फिलहाल इसे यूज थ्रो वाले कागज का बनवाया गया है, जिसमें बारकोड स्कैनर के साथ-साथ नाम, उम्र, पता, दिनांक और समय भी प्रिंट होगा। इसके लिए कंपनी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन रिस्ट बेंड की टेस्टिंग कर रही है।
भस्म आरती में टिकट दिखाने के बाद श्रद्धालु मानसरोवर से एंट्री करने के बाद सभी प्रमुख गेट पर आरएफआईडी बैंड की सुविधा होगी। साथ ही सभी भक्तों को भस्म आरती के दौरान इससे पहनना अनिवार्य होगा। श्रद्धालु की जानकारी को इसमें फीड किया जायेगा। श्रद्धालु को ऑनलाइन या ऑफलाइन परमिशन के बाद मंदिर में प्रवेश पर पहले काउंटर पर ही बार कोड स्कैन कर कलाई पर बांधने के लिए यह बैंड दिया जायेगा। श्रद्धालु को भस्म आरती में प्रवेश से लेकर भस्म आरती खत्म होने तक अपनी कलाई पर आरएफआईडी बैंड को बांधकर रखना होगा। आरती खत्म होने के बाद निर्धारित काउंटर पर इसे जमा भी करना होगा।