मलमास में भगवान विष्णु जी के मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है: धर्म

इस वर्ष मलमास या अधिकमास 18 सितंबर से शुरू हो रहा है, जिसका 16 अक्टूबर को समापन होगा। इस साल अधिक मास में 15 दिन शुभ योग रहेगा। अधिक मास के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृत सिद्धि योग 1 दिन और पुष्य नक्षत्र का योग 2 दिन बन रहा है।

पुष्य नक्षत्र भी रवि और सोम पुष्य होंगे। मान्य पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार, इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है।

अधिक मास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु जी हैं, इसीलिए इस पूरे समय में भगवान विष्णु जी के मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है। हिंदू धर्म में जहां मलमास का विशेष महत्व है, वहीं ज्योतिष शास्त्र के लिहाज से भी इसे काफी विशेष माना जाता है। इस वर्ष जो मलमास आने वाला है, उसे काफी शुभ माना जा रहा है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि ऐसा शुभ संयोग मलमाल में 160 वर्ष बाद बन रहा है और इसके बाद ऐसा शुभ मलमास 2039 में आएगा।

17 सितंबर को श्राद्ध खत्म होने के बाद 18 सितंबर से मलमास शुरू होंगे। मलमास 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास में अधिकमास है, जिसका अर्थ है कि इस साल दो आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहारों को मनाया जाता है। इस साल अधिकमास में कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, अधिकमास में 15 दिन शुभ संयोग बन रहे हैं।

अधिकमास की शुरुआत 18 सितंबर को शुक्रवार, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल नाम के शुभ योग में होगी। ये दिन काफी शुभ रहेगा। इस महीने में 26 सितंबर एवं 1, 2, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर सर्वार्थसिद्धि योग भी होने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होंगी। इसके अलावा 19 व 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग भी है। इस योग में किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है।

इस बार अधिकमास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह ऐसी तारीखें होंगी, जब कोई भी आवश्यक शुभ काम किया जा सकता है। यह तिथियां खरीदारी इत्यादि के लिए शुभ मानी जाती हैं।

इसलिए इन तिथियों में की गई खरीदारी शुभ फलकारी होती है। अधिकमास के दौरान सर्वार्थसिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृतसिद्धि योग एक दिन और दो दिन पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। अधिकमास में सर्वार्थसिद्धि योग बनने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। जबकि द्विपुष्कर योग में किए गए कार्यों का फल दोगुना मिलता है। इसके अलावा पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए शुभ साबित होगा।

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