मृत्यु जीवन का एक ऐसा सच है, जिसे कोई नहीं टाल सकता. जी हां जो व्यक्ति इस दुनिया में आया है, उसे एक न एक दिन तो इस दुनिया से जाना ही पड़ेगा. हालांकि जब इंसान को मृत्यु आने वाली होती है, तब यमराज उन्हें कुछ संकेत जरूर दे देते है. ऐसे में कहा जाता है कि जिन लोगो ने जीवन में काफी पाप किए होते है, उन्हें ही यमराज के दो दूतो सॅ डर लगता है. अब इसमें कितनी सच्चाई है, ये हम नहीं कह सकते. वैसे आज हम आपको जीवन और मृत्यु पर या अच्छे और बुरे कर्मो पर कोई भाषण देने के लिए नहीं आये है. जी हां दरअसल हम तो आपको ये बताना चाहते है, कि आखिर मरने के बाद इंसान की नाक और कान में रुई क्यों डाली जाती है.

बरहलाल इसके पीछे भी कोई बड़ा राज छिपा है. जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे. अगर वैज्ञानिको की माने तो उनके अनुसार मरने के बाद व्यक्ति के नाक और कान में रुई इसलिए डाली जाती है, ताकि इससे कीटाणु मरने वाले के शरीर में प्रवेश न कर सके. अब जाहिर सी बात है कि जब मरने के बाद व्यक्ति का नाक और कान बंद कर दिए जायेंगे, तो भला कीटाणु कहा सॅ घुसेंगे. हालांकि यहाँ कई लोगो के मन में ये सवाल भी उठता है, कि जब इंसान ही मर गया, तो ऐसे में अगर उसके शरीर में कीटाणु घुस भी जायेंगे, तो उसका क्या बिगड़ जाएगा. इसलिए मरने के बाद मृतक के कान और नाक में रुई डालने के और भी कई कारण है. जिनके बारे में आज हम आपको विस्तार सॅ बताएंगे.
१. इसका सबसे पहला कारण तो ये है कि मरने के बाद इंसान के शरीर सॅ एक द्रव सा निकलता है. ऐसे में इस द्रव को रोकने या यूँ कहे कि सोखने के लिए ही रुई का इस्तेमाल किया जाता है. बता दे कि ये द्रव खास तौर पर नाक और कान सॅ निकलता है.
२. इसके इलावा इसका दूसरा कारण ये भी है कि हिन्दू धर्म में गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति के मरने के बाद उसके शरीर के खुले हिस्सों में सोने के कण रखे जाते है. जिसे पारिभाषिक भाषा में तुस्स भी कहते है. आपको जान कर ताज्जुब होगा कि इसे शरीर के नौ अंगो में रखा जाता है. जिनमे नाक, कान, आंख और मुँह सहित कई अन्य अंग भी शामिल है.
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दरअसल शास्त्रों के अनुसार सोने को बेहद पवित्र माना जाता है. यही वजह है कि इंसान के मरने के बाद उसके शरीर के खुले हिस्सों में सोने के कण रखे जाते है. इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि अगर स्वर्ण को शरीर के अलग अलग हिस्सों में रख दिया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को काफी शांति मिलती है. यहाँ तक कि इससे व्यक्ति के सभी पापो का भी नाश हो जाता है. हालांकि नाक और कान के छेद बड़े होने के कारण उनमे सोने के कण नहीं डाले जाते. जी हां क्यूकि ऐसा करने से सोने के कण अंदर गिरने का खतरा रहता है. यही वजह है कि मरने के बाद इंसान के नाक और कान में सोने के कण यानि टुकड़े की बजाय रुई ही डाली जाती है. बरहलाल इसे पढ़ने के बाद तो आप समझ ही गए होंगे कि आखिर मरने के बाद इंसान के नाक और कान में रुई डालने की क्या वजह होती है.
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