ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस में बगावत के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिर गई थी. अब ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता ने मध्य प्रदेश में पार्टी के तौर-तरीकों पर सवाल खड़े किए हैं.
लहार विधानसभा क्षेत्र से 7 बार विधायक रह चुके कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने आरोप लगाया है कि पार्टी में सब कुछ केंद्रीकृत हो गया है. उन्होंने कहा, “कमलनाथ अपनी उम्र के दबावों के बावजूद सुबह से शाम तक बहुत मेहनत करते हैं लेकिन सवाल यह है कि सब कुछ केंद्रीकृत हो गया है. पार्टी में जनाधार वाले कई नेता हैं और अगर लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार ज़िम्मेदारी दी जाती, तो वे (पार्टी) छोड़कर नहीं जाते.”
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद गोविंद सिंह विपक्ष के नेता पद के दावेदार थे, लेकिन इस पद को कमलनाथ ने अपने पास बनाए रखा. इसके अलावा वो अभी भी पार्टी के राज्य अध्यक्ष बने हुए हैं.
यह सिर्फ गोविंद नहीं हैं जिन्होंने इस मुद्दे को उठाया है. पिछले एक हफ्ते में कांग्रेस के दो विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं और भाजपा में शामिल हो गए हैं.
हालांकि कांग्रेस के कुल 24 विधायक बीजेपी में शामिल होने के लिए सदन की सदस्यता छोड़ चुके हैं, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि ऐसे विधायकों की संख्या और बढ़ सकती है.
कांग्रेस के अभी 90 विधायक हैं जबकि 230 सदस्यीय सदन में बीजेपी के 107 विधायक हैं. अन्य और निर्दलीय 7 विधायक हैं जबकि 26 सीटें खाली पड़ी हैं. जिन 26 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, उनमें से दो सीट विधायकों की मृत्यु के कारण खाली हुईं जबकि 24 अन्य ने खुद ही अपनी सदस्यता छोड़ दी.
कमलनाथ ने ताजा परेशानी को भांप कर रविवार को पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई, जहां उन्हें शपथ दिलाई गई कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे. बैठक के दौरान कमलनाथ ने पार्टी विधायकों से ये भी कहा कि उपचुनाव के बाद फिर कांग्रेस सरकार बनेगी और शपथ लेने के बाद फिर सब मिलेंगे.
कमलनाथ के बयान पर बीजेपी ने तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त की. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, कांग्रेस एक डूबता जहाज है, कमलनाथ ने पहले भी शपथ ली थी लेकिन अपने विधायकों को साथ जोड़ने के लिए किसने उन्हें रोका था. जब वो सत्ता में रहते हुए अपने विधायकों को नहीं रोक सके तो अब क्या करेंगे.”