राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि पूरी दुनिया संकट में है और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर बड़ी आशा से देख रही है।
दुनिया को भारत से उम्मीदें हैं-भागवत
भागवत ने जबलपुर में आयोजित जीवन उत्कर्ष महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया को भारत से उम्मीदें हैं, क्योंकि भारत धर्म और संस्कृति के मार्ग का पालन करता है। भागवत ने कहा कि संस्कृति का सही अर्थ नैतिक और सद्गुणी आचरण है। लोग तभी अच्छा व्यवहार करते हैं जब उनके बीच एक-दूसरे के प्रति सद्भावना और गहरा जुड़ाव हो।
भारत में यह जुड़ाव है, लेकिन दुनिया में नहीं-संघ प्रमुख
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इन महान गुणों के अभाव में शत्रुतापूर्ण संबंध विकसित होते हैं, जिससे संघर्ष पैदा होता है। भागवत ने कहा कि भारत ने आज भी अपनी समृद्ध संस्कृति और अध्यात्म की विरासत को संभाल कर रखा है। उन्होंने कहा, वास्तविकता में हम सभी एक हैं। भारत में यह जुड़ाव है, लेकिन दुनिया में नहीं। भागवत ने कहा कि दुनिया अब भारत से यह सीखना चाहती है कि अध्यात्म और धार्मिक आचरण के साथ सद्भाव में जीवन कैसे जिया जाए।
बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के आध्यात्मिक गुरु ईश्वरचरण स्वामी भी इस पांच दिन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मौजूद थे। यह कार्यक्रम बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के आध्यात्मिक प्रमुख महंत स्वामी महाराज के जीवन और शिक्षा को समर्पित है। भागवत ने इस मौके पर स्वामी भद्रेशदास की एक किताब का भी विमोचन किया।
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