ऑस्ट्रेलिया की सरकार और गूगल के बीच लंबे समय से चली आ रही लड़ाई गूगल की हार के साथ मुकाम पर पहुंची है। ऑस्ट्रेलिया में गूगल ने आखिरकार हाल मान गया है और समाचार के बदले देश के सात मीडिया संस्थानों को पैसे देने के लिए राजी हो गया है।
भुगतान आधारित समाचार के लिए गूगल ने ऑस्ट्रेलिया अपनी नई सेवा न्यूज शोकेस भी पेश किया है। इससे पहले न्यूज शोकेस को गूगल ने ब्राजील और जर्मनी में पेश किया है। बता दें कि इससे पहले गूगल ने कहा था कि यदि ऑस्ट्रेलियाई सरकार पैसे के लिए मजबूर करती है तो वह अपनी समाचार सेवा देश में बंद करेगी।
पिछले महीने गूगल के ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रबंध निदेशक, मेल सिल्वा ने पिछले सप्ताह एक संसदीय सुनवाई में कहा था कि प्रस्तावित कानून को यदि अमल में लाया जाता है तो उनके पास ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं है। सिल्वा के जवाब में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि वे इस तरह की धमकियों पर टिप्पणी नहीं करते।
ऑस्ट्रेलियाई संसद में इस बात को लेकर लंबी बहस चल रही थी कि गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां जब मीडिया हाउस के कंटेंट का इस्तेमाल कर रही हैं तो बदले में उन्हें मीडिया हाउस को पैसे देने चाहिए या नहीं, लेकिन इंटरनेट कंपनियां सरकार के इस बहस के खिलाफ थी। गूगल के अलावा फेसबुक ने भी सरकार के इस कानून का विरोध किया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में गूगल की हिस्सेदारी 53 फीसदी और फेसबुक की 23 फीसदी है। अब यदि नए कानून का उल्लंघन होता है तो गूगल और फेसबुक पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
FICCI-EY की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ऑनलाइन समाचार पढ़ने और मनोरंजन के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की संख्या 300 मिलियन के करीब है। ये यूजर्स गूगल, फेसबुक और डेलीहंट जैसे एग्रिगेटर के जरिए खबरों को पढ़ते हैं। इनमें से 77 फीसदी यूजर्स स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं।
ये आंकड़े 2019-20 के हैं। 282 मिलियन यूनिक विजिटर्स के साथ भारत चीन के बाद सबसे ज्यादा ऑनलाइन न्यूज पढ़ने वाला दुनिया का दूसरा देश है। साल 2019 में ऑनलाइन विज्ञापन में 24 फीसदी (27,900 रुपये) का इजाफा देखा गया था जिसे लेकर अनुमान है कि यह साल 2022 तक 51,340 करोड़ का हो जाएगा। डिजिटल विज्ञापन में गूगल और फेसबुक का संयुक्त रूप से 61 फीसदी कब्जा है।