केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने रमेश पोखरियाल निशंक ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित शिक्षा संवाद के दौरान भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविदों और विशेषज्ञों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति से जुड़ी जानकारी साझा की और उसके फायदे गिनाए।
डॉ. पोखरियाल ने कहा, ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के लागू होने के साथ ही भारत ग्लोबल नॉलेज पावर बनने की कगार पर पहुंच गया है।’ देश भर के शिक्षकों, शिक्षाविदों और छात्रों से वर्चुअल माध्यम से संवाद करते हुए उन्होंने कहा, ‘नई शिक्षा नीति का उद्देश्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर (जीईआर) में सुधार करना है जिसके लिए भारत सरकार ने 2035 तक 50% जीईआर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए। भारत सरकार ने 2035 तक भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ने का फैसला किया है।’
पोखरियाल ने आगे कहा कि, ‘भारत सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति पहुंच (access), निष्पक्षता (equity), गुणवत्ता (quality), वहनीय (affordability) और जवाबदेही (accountability) के पांच स्तंभों पर आधारित है, जो सतत विकास के लिए लक्षित है।
एनईपी 2020 को न केवल व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है और राष्ट्र में प्रशंसित किया गया है। लेकिन अन्य देशों द्वारा सराहना की गई है क्योंकि भारत सरकार को पहले ही तीन देशों से नीतिगत ढांचे का अनुरोध मिल चुका है ताकि वे भी इसी तरह की नीति का मसौदा तैयार कर सकें और अपने राष्ट्रों में लागू कर सकें।’
उन्होंने कहा, ‘नई शिक्षा नीति छात्रों को अपनी रुचि के विषयों को चुनने के मामले में और साथ ही किसी भी स्तर पर शिक्षा को छोड़ने या जारी रखने के लिए लचीलापन प्रदान करती है। छात्र को एक वर्ष पूरा होने के बाद एक प्रमाण पत्र प्राप्त, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन साल पूरा होने के बाद डिग्री की पेशकश की जाएगी।’
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘जैसा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, नई शिक्षा नीति उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान पर जोर देती है और सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये (जीडीपी का 1%) के शुरुआती वार्षिक बजट के साथ राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन तैयार करने का निर्णय लिया है, जो छात्रों और संकाय द्वारा किए गए अनुसंधान परियोजनाओं को वित्तपोषित करने में मदद करेगा।’
डॉ. पोखरियाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को महत्व देते हुए कहा, ‘छात्रों की दक्षता में सुधार करने के लिए, नई नीति छात्रों को अपनी मातृभाषा में अध्ययन का माध्यम चुनने के लिए लचीलापन प्रदान करती है।’