अमेरिकी कंपनी फाइजर ने भारत में कोरोना टीके की अनुमति को लेकर अपना आवेदन वापस ले लिया है। लेकिन भारत सरकार के विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी ने आवेदन वापस नहीं लिया है बल्कि उसके प्रस्ताव को खारिज किया गया है।
तीन फरवरी को हुई बैठक में विशेषज्ञों ने कंपनी के प्रतिनिधियों से सुरक्षा संबंधी जानकारी मांगी थी लेकिन फाइजर एक भी दस्तावेज ऐसा नहीं दिखा सकी जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि भारतीय लोगों के लिए कोरोना का टीका पूरी तरह से सुरक्षित है।
मीडिया के पास बैठक में लिए गए फैसले की प्रति है जिसने विशेषज्ञों ने कहा है कि फाइजर कंपनी की ओर से आधे अधूरे दस्तावेज जमा किए गए थे जिसके आधार पर वह भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मांग रहे थे। लेकिन विशेषज्ञों अपने पोस्ट मार्केटिंग स्थिति और टीका लगने के बाद सामने आ रही घटनाओं को लेकर जब समीक्षा की तो पता चला है कि फाइजर का एमआरएनए तकनीक पर आधारित टीका सुरक्षा व पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित करने की स्थिति में नहीं है।
इस दौरान विशेषज्ञों ने पूछा कि भारतीय लोगों पर टीका का क्या असर है? इसका अध्ययन जानना जरूरी है, लेकिन कंपनी के पास इसका कोई जवाब नहीं है क्योंकि फाइजर के टीका पर भारत में परीक्षण नहीं हुआ है। इसलिए लंबी चर्चा और बहस के बाद विशेषज्ञों ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से फाइजर को अनुमति नहीं देने की सिफारिश की है।
उधर, फाइजर के प्रवक्ता ने बयान में कहा है कि कंपनी के प्रतिनिधियों ने 3 फरवरी को औषधि नियामक की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया था। बैठक में हुए विचार-विमर्श और नियामक को अतिरिक्त जानकारी की जरूरत होने की हमारी समझ के आधार पर कंपनी ने इस समय अपने आवेदन को वापस लेने का फैसला किया है।
हालांकि फाइजर प्राधिकरण के साथ संपर्क में रहेगा और निकट भविष्य में टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त जानकारी के साथ अनुमति के लिए फिर से आवेदन करेगी।
ऐसा पहली बार है जब भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति ने कोरोना टीके को लेकर प्रस्ताव खारिज किया है। बीते एक जनवरी को कोविशील्ड, कोवाक्सीन और फाइजर तीनों के लिए आवेदन दिया गया था। सरकार ने फाइजर को छोड़ बाकी दोनों को अनुमति प्रदान कर दी थी क्योंकि दोनों ही टीकों पर भारत में परीक्षण हुआ था। लेकिन फाइजर को और दस्तावेज जमा कराने का आदेश दिया था।
फाइजर का टीका सुरक्षित रखने के लिए 70 डिग्री तापमान होना जरूरी है। इसके दो डोज लेना जरूरी है जिसकी कीमत करीब 2862 रुपये है। इसलिए भी यह टीका भारत के दोनों टीका से काफी अलग है।
- बैठक में विशेषज्ञों ने भारत बायोटेक कंपनी को नाक से दिए जाने वाले टीके पर पहले चरण का परीक्षण करने की अनुमति दी।
- कोवाक्सिन के परीक्षण में शामिल लोगों को नाक और रक्त से नमूना लेकर जांच करने की अनुमति दी है, ताकि पता चले कि टीका लेने के बाद संक्रमण से बचाव हुआ या नहीं।
- सीरम को प्रोटीन नैनो पार्टिकल तकनीक पर आधारित टीका के लिए मानव परीक्षण की अनुमति दी गई। पहली बार भारत में इस तकनीक पर काम किया जा रहा है।