भारत में Cryptocurrency से हुई कमाई पर कैसे लगता है टैक्‍स, क्या है आयकर विभाग के नियम!

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR Filing 2024) फाइल करने की तारीख अब नजदीक ही है। ऐसे में जहां कई करदाताओं ने रिटर्न फाइल कर दिया है तो वहीं कई करदाता अभी आईटीआर फाइल करेंगे।

देश में कई निवेशक क्रिप्टकरेंसी (Cryptocurrency) में निवेश करते हैं। वैसे तो भारत में यह अभी तक वैध नहीं है, लेकिन क्रिप्टो निवेशक को इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है। अगर क्रिप्टोकरेंसी के रिटर्न की बात करें तो इसमें निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिल रहा है। यह एक तरह से ‘मल्टीबैगर रिटर्न’वाला एसेट बन गया है।

जिस तरह डीमैट अकाउंट (Demat Account) के जरिये शेयर का खरीद बिक्री होती है। ठीक, इसी प्रकार क्रिप्टोकरेंसी को भी खरीद या बेच सकते हैं। भारत में आप क्रिप्टो से किसी भी तरह की पेमेंट  करने की अनुमति नहीं है।

चलिए, जानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आयकर विभाग द्वारा क्या नियम बनाए गए हैं।

कैसे लगता है टैक्स

भारत सरकार ने भले ही क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं दी है पर इसे डिजिटल एसेट क्लास के तौर पर मान्यता मिल गई है। आपको बता दें कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी कैपिटल गेन टैक्सेशन की कैटेगरी में आता है।

कैसे कैलकुलेट होता है टैक्स

आयकर कानून (Income Tax Law) की धारा-115BBH के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल एसेट क्लास में आता है। इसपर निवेशक को 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है। अगर कोई निवेशक क्रिप्टो में 50,000 रुपये से ज्यादा का निवेश करता है तो उसे 1 फीसदी के हिसाब से टीडीएस (TDS) भी देना होता है।

इसके अलावा टैक्सपेयर को क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग, सेलिंग, प्रॉफिट बुकिंग और स्वैपिंग आदि पर भी टैक्स का भुगतान करना होता है।

उदाहरण के तौर पर अगर आप 100000 रुपये का क्रिप्टो खरीदते हैं और 150000 रुपये में बेचते हैं तो 50000 के लाभ पर 30 फीसदी का टैक्स देना होता है। वहीं अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग में नुकसान होता है तो उसकी भरपाई के लिए आप डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकते हैं।

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