पाकिस्तान में घोर वित्तीय संकट है. महंगाई चरम पर है, लेकिन इमरान खान अपने देश की चिंता करने के बजाय भारत पर निशाना साध रहे हैं. उन्होंने भारत में लागू हुए नागरिकता संशोधन कानून पर बयान दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद बड़ी संख्या में लोगों की नागरिकता खत्म हो जाएगी.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश की चिंता करने के बजाय भारत के आंतरिक मामलों में बयानबाजी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खूब उछाला था लेकिन हर जगह उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी. इमरान ने चीन से लेकर अमेरिका तक गुहार लगाई थी. अब बौखलाए इमरान ने भारत में लागू हुए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर अटपटा बयान दिया है.
समाचार एजेंसी आईएएएस ने पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि एक साक्षात्कार में इमरान ने कहा कि भारत में सीएए के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) बनाया जाएगा और इस पूरी कार्रवाई में 50 करोड़ लोगों की नागरिकता खत्म हो जाएगी.
उन्होंने कहा, “भारत में मोदी सरकार अल्पसंख्यकों को किनारे लगा कर म्यांमार जैसी हिंसा के हालात पैदा कर रही है. ठीक ऐसी ही चीजें म्यांमार में हुई थीं, जहां पहले म्यांमार सरकार ने पहले पंजीकरण का काम किया और फिर इसी के जरिए मुसलमानों को अलग कर उनका संहार किया. मेरी आशंका है कि भारत भी इसी दिशा में जा रहा है.”
इमरान खान से जब पूछा गया कि क्या मौजूदा घटनाक्रम के बाद भारत से लोग पलायन कर क्या पाकिस्तान और बांग्लादेश आना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि बांग्लादेश पहले से ही चिंतित है क्योंकि असम में भारत ने पहले ही करीब 20 लाख लोगों को गैरपंजीकृत कर दिया है.
मुझे ठीक-ठीक संख्या का पता नहीं है लेकिन इतने लोगों का क्या होगा. इस बीच, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने चीन के कर्ज के जाल में फंसने की आशंका के कारण पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना पर उठ रहे सवालों को भी खारिज करते हुए कहा कि इस बात का कोई आधार नहीं है पाकिस्तान चीन के कर्ज के जाल में फंस रहा है.
ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव पर इमरान ने कहा कि यह अब भी बना हुआ है लेकिन यह संतोष की बात है कि राजनयिक प्रयासों से इलाके में जंग टल गई. उन्होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान ने तनाव घटाने में अपनी भूमिका निभाई है लेकिन इस तरह के विवाद का स्थायी समाधान की जरूरत है. आपको बता दें कि इस समय पाकिस्तान भयंकर वित्तीय संकट से जूझ रहा है. पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है.
आतंकवाद को समर्थन देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पहले से ही उसे ग्रे-लिस्ट में डाल रखा है. पाकिस्तान पर आरोप था कि वह आतंकी संगठनों को फंड मुहैया कराने वाले नेटवर्क का समर्थन करता है.
बाद में एफएटीएफ के दबाव के चलते पाकिस्तान ने दिखावे के लिए कुछ कदम उठाए लेकिन वह अपनी कार्रवाई से एफएटीएफ को संतुष्ट नहीं कर पाया है. हाल ही में आस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान की ग्रे-लिस्टिंग का समर्थन किया है और कहा है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल करने पर विचार किया जाना चाहिए.