नेपाल ने भारत की ओर से कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड के उद्घाटन का विरोध किया है और कहा है कि यह कदम दोनों देशों के बीच समझ के खिलाफ है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया. इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था कि कैलाश-मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्री अब तीन सप्ताह के बजाय एक सप्ताह में अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे. यह लिंक रोड घियाबागढ़ से निकलती है और लिपुलेख पास, कैलाश-मानसरोवर के प्रवेश द्वार पर समाप्त होती है.
नेपाल ने भारत से उसकी सीमा के अंदर कोई भी गतिविधि नहीं करने के लिए कहा है. नेपाल के विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को कूटनीतिक तरीके से निपटाया जाएगा.
नेपाल के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नेपाल सरकार को पता चला है कि भारत ने शुक्रवार को लिपुलेख को जोड़ने वाली लिंक रोड का उद्घाटन किया है जो नेपाल से होकर गुजरती है.
नेपाल ने कहा कि उसने हमेशा यह साफ किया है कि सुगौली समझौते (1816) के तहत काली नदी के पूर्व का इलाका, लिंपियादुरा, कालापानी और लिपुलेख नेपाल का है.
उसका कहना है कि नेपाल सरकार ने कई बार पहले और हाल में भी कूटनीतिक तरीके से भारत सरकार को नया राजनीतिक नक्शा जारी करने के बारे में बताया था.
बता दें कि इस सड़क का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था और 2013 में पूरा होने वाला था, लेकिन नाजंग से बूंदी गांव के बीच के हिस्से में सख्त इलाके के कारण इस काम में देरी हो गई.
नेपाल के ऐतराज पर भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमने सड़क के उद्घाटन से संबंधित नेपाल के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी 9 मई 2020 की प्रेस विज्ञप्ति को देखा है. उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जिले में हाल ही में उद्घाटन किया गया सड़क खंड पूरी तरह से भारत के क्षेत्र में स्थित है.
बयान में कहा गया कि यह सड़क कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्रियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पहले से मौजूद मार्ग का अनुसरण करती है. वर्तमान परियोजना के तहत, एक ही सड़क को तीर्थयात्रियों, स्थानीय लोगों और व्यापारियों की सुविधा के लिए बनाया गया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और नेपाल ने सभी सीमा मामलों से निपटने के लिए मैकेनिज्म स्थापित किया है. नेपाल के साथ सीमा परिसीमन अभ्यास जारी है.
भारत कूटनीतिक संवाद और नेपाल के साथ हमारे घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की भावना के जरिए सीमा मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है.
दोनों पक्ष विदेश सचिव स्तर की वार्ताओं को निर्धारित करने की प्रक्रिया में हैं. ये बातचीत COVID-19 आपातकाल की चुनौती से सफलतापूर्वक निपटने के बाद आयोजित की जाएगी.