भारत की वीरगाथा की 41वीं वर्षगांठ: सियाचिन के सपूतों को सलाम

आज सियाचिन दिवस के 41वीं वर्षगांठ के अवसर हम जानेंगे कि कैसे हमारे देश के वीर सैनिकों ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र पर तिरंगा फहराया था। यह दिन उन वीर सियाचिन योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा की और दुश्मनों की हर कोशिश को नाकाम किया…

हर साल 13 अप्रैल को ‘सियाचिन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो 1984 में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ की याद दिलाता है। यह वह दिन है जब भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे कठिन युद्धक्षेत्र – सियाचिन ग्लेशियर पर अपने झंडे गाड़े थे।

बता दें कि वर्ष 1984 में पाकिस्तान की संभावित सैन्य कार्रवाई की जानकारी मिलने के बाद भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर रणनीतिक स्थानों को सुरक्षित करने के लिए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ शुरू किया, जिसके बाद 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सैनिकों ने बिलाफोंड ला और सियाला दर्रों पर कब्जा कर लिया और पूरे सियाचिन क्षेत्र पर अपना नियंत्रण ले लिया। यह ऑपरेशन लेफ्टिनेंट जनरल एम.एल. छिब्बर, लेफ्टिनेंट जनरल पी.एन. हून और मेजर जनरल शिव शर्मा के नेतृत्व में शुरू हुआ था। इसमें भारतीय सेना और वायुसेना के बीच बेहद मजबूत तालमेल देखने को मिला।

ऑपरेशन मेघदूत की 41वीं वर्षगांठ
इस वर्ष ऑपरेशन मेघदूत की 41वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। यह दिन उन वीर सियाचिन योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा की और दुश्मनों की हर कोशिश को नाकाम किया। आज भी भारतीय जवान ‘जमे हुए सीमांत’ की रक्षा में तैनात हैं और अपने अटूट हौसले और निष्ठा के साथ देश की सीमाओं को सुरक्षित रख रहे हैं। ध्यान रहे कि सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के वीर भारत माता की सुरक्षा के लिए -50 डिग्री तापमान, तेज़ बर्फीली हवाएं और बेहद कठिन इलाके का सामना करते हुए हर पल देश की सुरक्षा में जुटे रहते हैं।

भारतीय वायुसेना की अतुल्य भुमिका
‘ऑपरेशन मेघदूत’ में भारतीय वायुसेना की एक अतुल्य भूमिका रही। वायुसेना ने AN-12, AN-32 और IL-76 जैसे एयरक्राफ्ट के जरिए सैनिकों और सामान को ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों तक पहुंचाया। इसके बाद MI-17, MI-8, चेतक और चीता हेलिकॉप्टरों की मदद से सैनिकों को ग्लेशियर की ऊंची चोटियों तक पहुंचाया गया। इतना ही नहीं वायुसेना के हेलिकॉप्टर 1978 से ही सियाचिन में उड़ान भर रहे हैं, और चेतक हेलिकॉप्टर पहला ऐसा भारतीय हेलिकॉप्टर था जो अक्टूबर 1978 में वहां उतरा था।

क्यों है सियाचिन इतना खास?
सियाचिन ग्लेशियर का क्षेत्र पाक अधिकृत कश्मीर (PoK), अक्साई चिन और शक्सगाम घाटी से सटा हुआ है, जिसे पाकिस्तान ने 1963 में चीन को सौंप दिया था। यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इलाका है क्योंकि इससे दुश्मन की हरकतों पर नजर रखी जा सकती है। इसके साथ ही यह स्थान लेह से गिलगित आने-जाने वाले रास्तों को भी नियंत्रित करता है, जिससे इसकी सैन्य और रणनीतिक अहमियत और बढ़ जाती है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com