भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने शनिवार को कहा कि देश की सुविचारित टेस्टिंग रणनीति कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख हथियार रही है। आइसीएमआर ने ट्वीट के जरिये कोरोना टेस्ट के लिए ब्रिटेन में डीएनए-नज टेस्ट के इस्तेमाल संबंधी रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि भारत ने अप्रैल में ही स्वदेश विकसित ट्रूनेट प्लेटफॉर्म की शुरुआत कर दी थी जो ब्रिटेन की डीएनए-नज जैसी प्रणाली है। यह इस्तेमाल में आसान है और इसमें समय भी कम लगता है। इसके अलावा इसमें किसी स्पेशलाइज्ड लैब की जरूरत भी नहीं होती। वर्तमान में 484 जिलों में 2,500 ट्रूनेट मशीनें लगाई गई हैं और अब तक इनसे 25 लाख से ज्यादा टेस्ट कराए गए हैं।
टाटा समूह को देश की पहली सीआरआइएसपीआर कोविड-19 जांच की मंजूरी
उधर, टाटा समूह को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) से देश के पहले क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शार्ट पालिनड्रोमिक रिपीट्स (सीआरआइएसपीआर) कोविड-19 जांच शुरू करने की व्यावसायिक मंजूरी मिल गई है। इस आशय की जानकारी शनिवार को टाटा संस ने एक बयान में दी। उन्होंने कहा कि इस जांच के नतीजे भी पारंपरिक आरटी-पीसीआर की तरह सटीक पाए गए हैं। इससे कम लागत में अच्छा परिणाम आएगा। इसका प्रयोग भविष्य में अन्य महामारियों की जांच में भी हो सकेगा।
दावा किया गया है कि यह सीएएस-9 प्रोटीन का इस्तेमाल करने वाला विश्व का पहला ऐसा परीक्षण है, जो कोविड-19 महामारी फैलाने वाले वायरस की सफलतापूर्वक पहचान कर लेता है। टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स के सीईओ गिरीश कृष्णमूíत ने कहा कि कोविड-19 के लिए टाटा सीआरआइएसपीआर परीक्षण की मंजूरी वैश्विक महामारी से लड़ने में देश के प्रयासों को बढ़ावा देगी।