कोरोना के प्रकोप और लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है. इससे इकोनॉमी को उबारने के लिए 4.5 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय सहयोग की जरूरत है.
इंडस्ट्री चैंबर फिक्की ने यह अनुमान पेश करते हुए मांग की है कि विभिन्न सरकारी भुगतानों और रिफंड में फंसे ढाई लाख करोड़ रुपये तुरंत जारी किया जाए.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक लेटर में फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने यह मांग की है. उन्होंने कहा कि मध्यम अवधि में कई टुकड़ों में यह राशि दी जा सकती है.
इसके साथ ही उन्होंने वित्त मंत्री से इनोवेशन, कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन में आए मौजूदा व्यवधान के बीच उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिए एक आत्म-निर्भरता कोष बनाने पर भी जोर दिया है.
रेड्डी ने मौजूदा हालात में सरकार से तुरंत सहायता दिए जाने की जरूरत पर बल दिया. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि सबके सामने सबसे बड़ी समस्या नकदी की है और इसके त्वरित निदान के लिए सबसे पहले सरकार द्वारा किए जाने वाले विभिन्न भुगतान और रिफंड में फंसी 2.5 लाख करोड़ रुपये की राशि को तुरंत जारी करने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, इस राशि के लिए बजट में पहले ही प्रावधान किया गया होगा. वंचित तबके के लिए अतिरिक्त वित्तीय समर्थन की भी आवश्यकता है.
यह समर्थन गरीब कल्याण योजना के तहत उपलब्ध कराई जा रही सहायता से अलग होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्यमों को फिर से पटरी पर लाने के लिए राजकोषीय समर्थन की आवश्यकता है. इसके अलावा मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के ढांचे को उन्नत बनाने के के लिए भी फंड की जरूरत है.
गौरतलब है कि देश में 25 मार्च से ही लॉकडाउन लागू है और अब इसका तीसरा चरण चल रहा है. पहले चरण में तो कारोबार और उद्योग पूरी तरह से ठप रहे, इसकी वजह से इंडस्ट्री जगत को कई लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. अब सीमित स्तर पर कारोबार, उद्योग खुल जरूर रहे हैं, लेकिन अभी इकोनॉमी को पटरी पर आने में काफी समय लगेगा.