भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की एक ही नीति है कि ‘न काम करो, न काम की फिक्र करो, बस फिक्र का जिक्र करो’। यही वजह है कि प्रदेश में अपराध, बेरोजगारी, घोटाले, कर्ज सब बेकाबू हैं।

सरकार ने अपने 100 दिन 20-20 दिन विभागों के बंटवारे, सीआईडी को लेकर विवाद, दिल्ली चुनाव व प्री-बजट पर चर्चा करने में गुजार दिए। हकीकत में प्रदेश को अच्छे शासन की जरूरत है, न कि भाषणों की। यह कहना है पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। वे रविवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
प्रदेश पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, हर नागरिक आज 72 हजार से अधिक कर्ज में डूबा है। रोजगार में 75 फीसदी प्रदेशवासियों का कोटा भी जुमला साबित हुआ। सिर्फ अनस्किल्ड युवाओं के लिए 75 फीसदी आरक्षण स्वीकार्य नहीं है। इसके तहत चपड़ासी स्तर की नौकरियों में ही हरियाणा के युवाओं को जगह मिली। हजारों करोड़ के धान घोटाले की पुष्टि प्र्रशासनिक अधिकारी कर रहे हैं, जबकि संबंधित विभाग के मंत्री इससे इनकार करते हैं। इसकी सीबीआई या सीटिंग जज से जांच होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि एक आरटीआई से मिली जानकारी में प्रदेश में प्रति एकड़ 75.80 क्विंटल धान की पैदावार है। जबकि हरियाणा में 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ धान की पैदावार ही होती है।
यदि ऐसा है तो मैं धान घोटाले की जांच की मांग नहीं करूंगा। लेकिन सरकार को बताना होगा कि तीन गुणा धान कहां से आई और कहां गई? माइनिंग घोटाले में जांच की मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और कैग माइनिंग पर सख्त टिप्पणी कर चुकी है। कैग रिपोर्ट में भी 1476 करोड़ के घोटाले का जिक्र है। यमुनानगर से लेकर कुंडली तक यही हाल है। टेंडर कहीं का और खनन कहीं का। बिना डी-मार्केशन के खनन किया गया। एसवाईएल मुद्दे पर भी सरकार ने चुप्पी साध रखी है।
पूर्व सीएम ने उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को नसीहत देते हुए कहा कि वह जेल जाएंगे या नहीं, इस पर अधिक ध्यान देने की बजाए पहले अपना घर संभाल लें।
वह उनकी चिंता न करें। किसी को जेल कोई पार्टी नहीं भिजवाती। इसमें कोर्ट का आदेश चलता है। एसवाईएल के मुद्दे पर पूर्व सीएम ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार अपना हक लेने के लिए आगे चलती है तो वह भी उनके साथ छाती अड़ाने को तैयार हैं। इसके साथ ही पूर्व सहकारिता मंत्री के बयान ‘पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा सीबीआई को सरकार का तोता बताने’ पर पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि भाजपा सीबीआई से नहीं तो सीटिंग जज से जांच करवा सकती है।
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