हालांकि पुराणों में बताया गया है कि भगवान राम के स्वर्ग गमन के बाद हनुमान जी अयोध्या से दक्षिण भारत के जंगलों में चले गए थे। इसके बाद समंदर को दोबारा लांघकर वो श्रीलंका पहुंचे। उस दौरान हनुमान जी जब तक वहां ठहरे, ‘मातंग’ कबीले के लोगों ने उनकी खूब सेवा की। इस सेवा के बदले हनुमान जी ने इस कबीले के लोगों को ब्रह्मज्ञान का बोध कराया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी वादा किया कि वे हर 41 साल बाद उनसे मिलने जरूर आएंगे।