दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को बड़ी सौगात दी है। दसवीं और बारहवीं के 3 लाख 14 हजार छात्रों की परीक्षा फीस सरकार खुद भरेगी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा ली जाने वाली इस फीस को सरकारी कोष से भरने की कुछ समय पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने घोषणा की थी। इसके एवज में सरकार प्रतिवर्ष 57 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
बैठक में प्रस्ताव को मिली मंजूरी
बुधवार को सीएम केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है।
दसवीं और बारहवीं के छात्रों को मिलेगा लाभ
सरकार के इस निर्णय से सरकारी, सहायता प्राप्त,सरकार द्वारा अधिकृत और पत्राचार विद्यालयों के छात्रों को लाभ मिलेगा। इसमें बारहवीं कक्षा के छात्रों के प्रैक्टिकल और वोकेशनल स्टडीज के अंतर्गत व्यावहारिक परीक्षाओं की फीस शामिल है। यह निर्णय वर्तमान वर्ष (2019-20) से ही लागू होगा।
इससे लगभग 3.14 लाख छात्रों को होगा फायदा
इस निर्णय से दसवीं और बारहवीं के लगभग 3.14 लाख छात्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में दसवीं में 1,79,914 और बारहवीं में 1,33,802 छात्र पढ़ रहे हैं। इन कक्षा के छात्रों के लिए पांच अनिवार्य विषय और एक वैकल्पिक विषय हैं, जिसका शुल्क सरकार अदा करेगी। बारहवीं कक्षा के लिए यह 1800 प्रति छात्र और दसवीं कक्षा के लिए 1800 प्रति छात्र है।
बारहवीं कक्षा के 14,783 विज्ञान संकाय के छात्रों के लिए तीन प्रैक्टिकल परीक्षाएं होती हैं, प्रत्येक विषय का शुल्क 150 रुपये है। वोकेशनल स्टडीज के छात्रों के भी दो प्रैक्टिकल विषय हैं। इनका परीक्षा शुल्क 50 रुपये प्रति प्रैक्टिकल है।