कोरोना वायरस की महामारी के कारण देश में जिस समय लॉकडाउन लागू हुआ, उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में तब परीक्षा चल रही थी. मार्च महीने में ही परीक्षा शुरू हुई थी कि 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हुआ और सभी परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं.
पिछले दिनों कुछ विश्वविद्यालयों ने स्थगित परीक्षा के लिए तिथियों का ऐलान भी कर दिया था, जिसके बाद कई जगह छात्र सड़क पर उतर आए थे.
अब छात्रों के लिए राहत भरी खबर है. यूपी के विश्वविद्यालयों में अब स्थगित परीक्षा नहीं कराई जाएगी. बगैर परीक्षा के ही छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया जाएगा.
यूपी के विश्वविद्यालयों में 48 लाख छात्र पंजीकृत हैं. यह निर्णय स्थगित परीक्षा को लेकर सरकार की ओर से बनाई गई कुलपतियों की चार सदस्यीय समिति ने लिया है.
समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. हालांकि, इस पर अभी सरकार की मुहर नहीं लगी है. बताया जाता है कि अगली बैठक में इस पर सरकार आधिकारिक रूप से निर्णय लेगी, लेकिन अब बगैर परीक्षा के ही छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत किया जाना तय माना जा रहा है. गौरतलब है कि मेरठ विश्वविद्यालय के कुलपति एके तनेजा की अध्यक्षता में यूपी सरकार ने चार सदस्यीय समिति बनाई थी.
सरकार ने समिति से स्थगित परीक्षा कराने के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी. अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित भी इस समिति के सदस्य हैं.
बता दें कि विश्वविद्यालयों में परीक्षा कराने और सेशन को लेकर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने भी एक समिति बनाई थी. यूजीसी की समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में परीक्षाएं कराए बगैर छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने की सिफारिश की है.
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