नई दिल्ली। कहते हैं कि हर तस्वीर हजार शब्दों को बयां करती है, लेकिन जी -20 शिखर सम्मेलन की ग्रुप फोटो की हजारों व्याख्याएं की जा सकती हैं, जहां प्रत्येक नेता सत्ता के पदानुक्रम में खड़ा है। कम से कम, चीन क्या सोचता है उसके अनुसार तो इसे रेखांकित किया ही जा सकता है।
हांगछाऊ में हुए इस 11वें जी-20 सम्मेलन में दुनिया के 36 पावरफुल नेताओं ने भाग लिया जिसमें 21 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, 8 आमंत्रित देशों के प्रमुख और 7 अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे।
बीजिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी के निदेशक वांग ने दुनिया के 36 पावरफुल लीडर्स की इस ग्रुप फोटो का एनालिसिस किया है। उनके मुताबिक चीन ने हर नेता को उसकी अहमियत के हिसाब से जगह दी है। पहली लाइन में नरेंद्र मोदी की उपस्थिति चीन की नजर में उनके रुतबे और ताकत को दर्शाती है। 2002 के बाद यह पहला मौका है जब भारत को पहली कतार में खड़े होने का मौका मिला है। इससे पहले 2015 में तुर्की में हुए सम्मेलने के दौरान पीएम मोदी दूसरी कतार में थे जबकि 2012 में मैक्सिको के जी-20 समिट में मनमोहन सिंह भी दूसरी लाइन में थे।
वांग के अनुसार, पीएम मोदी को दूसरी पंक्ति में खड़े होना चाहिए था क्योंकि पहली पंक्ति में राष्ट्रपति और राष्ट्राध्यक्ष खड़े होते हैं, जबकि दूसरी पंक्ति में प्रधानमंत्री और चांसलर खड़े होते हैं और अंतिम पंक्ति में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि खड़े होते हैं, लेकिन मोदी पहली पंक्ति में खड़ें हैं, जो उनकी अहमयित को दर्शाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन मोदी को पहली पंक्ति में रखकर यह जताना चाह रहा है कि भारत को अब उभरती ताकत के रूप में स्वीकार करता है और जी 20 देशों के इस समूह में वह भारत की भूमिका को नजरदांज नहीं किया जा सकता।