बिहार विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के उपचुनावों में पार्टी की जीत से अपने कार्यकाल की पहली अग्निपरीक्षा में पूरी तरह खरे उतरकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा आशीर्वाद पाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा का कद पार्टी और देश दोनों की राजनीति में खासा बढ़ गया है। उनके पूर्ववर्ती और मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह ने संगठन के विस्तार और विरोधियों पर भारी पड़ने की जो लंबी लकीर खींची है, उसे पाने का पहला दरवाजा नड्डा ने सफलतापूर्वक पार कर लिया है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी सार्वजनिक रूप से नड्डा की पीठ थपथपा कर यह संदेश दे दिया है कि प्रधानमंत्री के बाद भाजपा में अगर कोई दूसरा महत्वपूर्ण शक्ति केंद्र है तो वह पार्टी अध्यक्ष का है चाहे उस पर कोई भी आसीन हो। बुधवार की शाम को जब भाजपा मुख्यालय में आयोजित धन्यवाद समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी अध्यक्ष नड्डा का हौसला बढ़ाते हुए नारा दिया ‘नड्डा जी आगे बढ़ो हम आपके साथ हैं’ तो संदेश साफ था कि सरकार और पार्टी में कोई कुछ भी हो, लेकिन प्रधानमंत्री समेत सभी को पार्टी अध्यक्ष के नेतृत्व में ही आगे बढ़ना होगा।
प्रधानमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष को चुनावी सफलता और धन्यवाद समारोह की बधाई देकर यह भी जता दिया कि नड्डा उनकी अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरे उतरे हैं। मौजूदा भाजपा के शीर्ष और प्रथम पंक्ति के नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हैं। मोदी और शाह के बीच परस्पर विश्वास और निकट संबंधों का जो पुल है वह इतना मजबूत है कि जब तक अमित शाह पार्टी अध्यक्ष रहे नरेंद्र मोदी को संगठन विस्तार की कोई फिक्र ही नहीं थी। इसलिए जब शाह के उत्तराधिकारी की खोज हुई तो उन्होंने अपने दूसरे भरोसेमंद जेपी नड्डा पर विश्वास जताया।
स्वभाव से विनम्र और सहज नड्डा सबको साथ में लेकर चलने की कोशिश में शाह समेत सभी वरिष्ठ नेताओं से सलाह और सुझाव लेते थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लेकिन इस वजह से उन्हें अपनी नई टीम बनाने में खासा वक्त लग गया। तब एक बार खुद प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें इशारों में समझाया कि अब वह पार्टी अध्यक्ष हैं और संगठन संबंधी फैसले उन्हें खुद लेने चाहिए। अगर कोई जटिल समस्या हो तो उनसे या किसी वरिष्ठ से सलाह ले सकते हैं। इसके बाद नड्डा ने अपनी टीम भी बनाई।
पुरानी टीम के कुछ जाने-माने नामों की जगह कुछ नए लोगों को मौका दिया। उनके सामने सबसे पहली चुनौती बिहार विधानसभा और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों के उपचुनाव थे। जिनमें बिहार और मध्य प्रदेश ज्यादा जटिल और पार्टी की प्रतिष्ठा से जुड़े थे। नड्डा ने बेहद कुशलता से मध्यप्रदेश की पूरी जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा आदि को सौंपी और खुद बिहार के रणक्षेत्र में कूद पड़े।
एनडीए में सीटों के बंटवारे, चिराग पासवान की रणनीति और धुआंधार चुनावी प्रचार अभियान सबका नतीजा अब सामने है। नड्डा ने अपनी पहली अग्निपरीक्षा शानदार तरीके से पार कर ली है। अब उनकी अगली कसौटी मार्च-अप्रैल 2021 में प.बंगाल और असम के चुनावों में होनी है।
दरअसल जेपी नड्डा उन दिनों से नरेंद्र मोदी के शागिर्द हैं जब मोदी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और हिमाचल प्रदेश के प्रभारी थे। नड्डा की संगठन क्षमता और प्रतिभा को पहचान कर ही उनको पहले राज्य की राजनीति में आगे बढ़ाने में मोदी का अहम योगदान रहा है और फिर केंद्र में लाकर उनको लगातार महत्व दिया। अपने पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने नड्डा को अपने मंत्रिमंडल में शामिल उन्हें स्वास्थ्य जैसा जनता से जुड़ा अहम मंत्रालय दिया और जब प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक स्वास्थ्य कल्याण योजना आयुष्मान भारत लागू हुई तो उसके सफलतापूर्वक अमल ने भी मोदी की नजरों में नड्डा का कद बढ़ा दिया।
इसीलिए जब 2019 दिसंबर के आखिर में अमित शाह का कार्यकाल पूरा होने वाला था उसके कुछ महीने पहले ही जेपी नड्डा को भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि पार्टी में इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार भूपेंद्र यादव भी थे और भाजपा सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह का भी यादव को बेहद भरोसा हासिल था। कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नड्डा ने बहुत ही समर्पित भाव से संगठन का काम संभाला। नड्डा ने मोदी और शाह के बीच बहुत कुशलता से संवाद बना कर संतुलन साधे रखा और जैसे ही शाह का कार्यकाल पूरा हुआ नड्डा को बिना किसी अवरोध के पार्टी की कमान सौंप दी गई।