बिहार में सभी 243 विधानसभा सीटों के रुझान आ चुके हैं। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा-जदयू का एनडीए 124 सीटों पर आगे चल रहा है और उसे पूर्ण बहुमत मिलता नजर आ रहा है। वहीं, राजद के नेतृत्व में महागठबंधन 105 सीटों पर आगे है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी 21 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। ऐसे में महागठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है, जिससे अटकलें लगने लगी हैं कि अगर महागठबंधन हारता है तो इसके लिए कांग्रेस काफी ज्यादा जिम्मेदार है और उसकी वजह से तेजस्वी यादव को हार का सामना करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि बिहार में सभी 243 सीटों पर रुझान आ चुके हैं। इसमें एनडीए 124 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि महागठबंधन 105 सीटों पर आगे है। वहीं, चिराग पासवान की लोजपा दो और अन्य दल 11 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। अगर राजनीतिक दलों की बात करें तो भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वह 72 सीटों पर आगे चल रही है।
दूसरे नंबर पर राजद है, जिसने 65 सीटों पर बढ़त बना रखी है। जदयू 47 सीटों पर आगे चल रही है तो कांग्रेस की झोली में 21 सीटें जाती नजर आ रही हैं। हालांकि, वामपंथी दल 19 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। इसके अलावा वीआईपी 6 सीटों पर आगे है।
जानकारी के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। इनमें पार्टी 65 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने 70 सीटों पर ताल ठोकी, लेकिन वह सिर्फ 21 सीटों पर ही आगे है।
महागठबंधन में शामिल वामपंथी दलों ने मजबूती दिखाई है। उन्होंने 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, जिनमें 19 सीटों पर लेफ्ट पार्टियां आगे चल रही हैं। बीजेपी ने 110 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, जिनमें 72 सीटों पर आगे चल रही है। जदयू ने 115 सीटों पर ताल ठोकी, जिनमें से 49 सीटों पर पार्टी ने बढ़त बना रखी है।
आपको बता दें कि 2015 के चुनाव में भाजपा ने 157 सीटों पर ताल ठोकी थी और 53 पर जीत दर्ज की थी। जदयू ने 101 सीटों पर दांव खेला था और उसे 71 सीटें मिली थीं। लोजपा ने 2015 में 42 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी। राजद ने 101 सीटों पर ताल ठोकी और 80 सीटें जीत हासिल की थीं। कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटें अपनी झोली में डाली थीं। वामपंथी दलों ने 48 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए थे।
चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि अगर 2020 के चुनाव में महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ता है तो इसके लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार होगी। दरअसल, 2015 में कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटें जीती थीं। अब 2020 में कांग्रेस ने महागठबंधन के खाते से 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन अभी वह सिर्फ 21 सीटों पर ही आगे चल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस पिछली बार की तरह 41 सीटों पर ही चुनाव लड़ती और बाकी सीटें राजद के लिए छोड़ती तो नतीजा कुछ और हो सकता था।