भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर विवाद खत्म होने की ओर है और अब दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील से पीछे हट रही हैं. ताजा सैटेलाइट तस्वीरों की मानें, तो चीन ने पैंगोंग लेक से जिन सैनिकों को हटाया है उन्हें आगे जाकर रुतोग इलाके में बसाया जा रहा है, जो कि पैंगोंग लेक के बिल्कुल पूर्वी छोर पर है.
इस इलाके में साल 2019 से ही काम चल रहा था, जब भारत और चीन के सैनिकों के बीच विवाद की शुरुआत हुई थी. अब ये बेस भविष्य में किसी तरह की गतिविधि होने पर चीनी सेना के लिए एक बैकअप की तरह काम कर सकता है.
आपको बता दें कि जिस नए इलाके यानी रुतोग में चीनी सेना को बसाया जा रहा है, वो पैंगोंग झील से करीब 100 किमी और मोल्डो से 110 किमी दूर है. मोल्डो वही इलाका है, जहां विवाद के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने कई बार बातचीत की है. रुतोग के इस इलाके में 2019 से ही सैन्य गतिविधि बढ़ी है, जिसमें रडार सिस्टम, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, हेलिपोर्ट, टैंक ड्रिल्स जैसी गतिविधि शामिल है.
चीनी सेना के द्वारा इन इलाकों में झोपड़ी जैसे घर बनाए गए हैं जिनमें सैनिकों को रोका गया है. साथ ही ये इलाका नगारी से जुड़ता है, यहां से नगारी तक हवाई और सड़क मार्ग तैयार है. ऐसे में पैंगोंग झील के पास होने वाली गतिविधियों में चीन भविष्य में इसका इस्तेमाल कर सकता है.
OSINT विश्लेषक @detresfa_ द्वारा media को साझा की गई सैटेलाइट तस्वीरों से इस इलाके की असली तस्वीर का पता चलता है. तस्वीरों से दिखाई पड़ता है कि रुतोग इलाके में काफी तैयारी की गई है. जहां स्टोरेज एरिया, टेंट, केबिन और अन्य सुविधाओं को तैयार किया जा रहा है.
OSINT के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मई 2020 में चीन द्वारा अक्साई चिन इलाके में ये निर्माण देखा गया था. मौजूदा वक्त में जो सैनिकों को पीछे हटने का काम किया जा रहा है, इस तरह की जगह उन्हीं के लिए तैयार की गई हैं. हालांकि, अगर सामरिक तौर पर देखें तो एक साल पहले चीन द्वारा जो स्थिति बनाई गई थी ये उससे काफी अलग है.
भारतीय सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल हर्ष काकर के मुताबिक, चीनी सेना की कोशिश है कि LAC के पास कुछ सैनिकों की तैनाती का जाए, ताकि भविष्य में काम आ सके. मौजूदा हरकत बताती है कि चीन को उम्मीद है कि जल्द ही भारत को रिएक्शन देगा, जो हमारे लिए अच्छा है.
मेजर मानिक एम. जॉली के मुताबिक, चीन की इस हलचल से अंदाजा होता है कि उनकी सेना कुछ ही वक्त में बड़ी संख्या में सैनिकों को इकट्ठा कर सकती है. पिछले साल जुलाई में भी हमने इस तरह की तैयारी गार बेस और नगारी एयरफील्ड में देखी थी. लद्दाख विवाद को देखते हुए ये सभी फॉरवर्ड इलाके माने जाते हैं.
चीन की इस तरह की तैयारी को लेकर भारत को कैसे देखना चाहिए और किस तरह तैयार होना चाहिए. इसपर मेजर जॉली ने कहा कि हमें अपनी ओर से तैयारी करनी होगी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देना होगा, साथ ही एक प्लान भी तैयार करना होगा जो सैन्य लेवल पर काम आए.