कोरोना के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर उत्तरी कोरिया ने टोक्यो ओलंपिक में भाग न लेने का फैसला लिया है। देश के खेल मंत्री ने आज इसकी जानकारी दी। 1988 में हुए शीत युद्ध के बाद यह पहला मौका होगा जब खेलों के महाकुंभ से कोरिया बाहर होगा। 23 जुलाई से 8 अगस्त के बीच टोक्यो में होने वाले इन ओलंपिक का आयोजन बीते साल 2020 में ही होना था, लेकिन कोविड-19 के चलते द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार इन्हें टाला गया।
नॉर्थ कोरिया के खेल मंत्रालय की वेबसाइट लिखा गया है, ‘कमेटी ने ये तय किया है कि नॉर्थ कोरिया 32वें ओलंपिक्स खेलों में शामिल नहीं होगा। नॉर्थ कोरिया अपने एथलीट्स को कोरोना वायरस से पैदा हुए वैश्विक स्वास्थ्य संकट से बचाना चाहता है। नॉर्थ कोरिया ओलंपिक कमेटी की बैठक में प्रोफेशनल स्पोर्ट्स टेक्नोलॉजी को विकसित करने के तरीकों, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीतने और अगले पांच साल में खेल गतिविधियों को उत्साहित करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय ने मंगलवार को इस फैसले पर खेद जताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि टोक्यो ओलंपिक दोनों कोरियाई देशों के आपसी संबंध बेहतर करने का एक जरिया साबित होंगे। जापान की ओलंपिक मंत्री तामायो मारूकावा ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें अभी इसकी पुष्टि का इंतजार है और वह तुरंत इस पर टिप्पणी नहीं कर सकती। जापान की ओलंपिक समिति ने कहा कि उत्तर कोरिया ने अभी उसे इस बात की सूचना नहीं दी है कि वह तोक्यो ओलंपिक में भाग नहीं लेगी।
उत्तर कोरिया ने 2018 में दक्षिण कोरिया में हुए शीतकालीन ओलंपिक में 22 खिलाड़ियों को भेजा था। सरकारी अधिकारियों, कलाकारों, पत्रकारों के अलावा महिलाओं के ‘चीयरिंग ग्रुप’ में 230 सदस्य थे, उन खेलों में उत्तर और दक्षिण कोरिया ने एकीकृत कोरियाई प्रायद्वीप के प्रतीक नीले नक्शे के तले साथ में मार्च किया था।