यह पेट में अंदर की तरफ की तरफ होता है। अब जरा सोचिए इस अंग की सेहत अगर खराब हो जाए तो, शरीर को ऊर्जा मिलने का पूरा सिस्टम ही बिगड़ जाएगा। आज हम इसकी अहमियत, स्थान और इसमें होने वाली जानलेवा बीमारी पैंक्रियाटिक कैंसर के बारे में बात करेंगे। अग्नाशय या पैंक्रियाज हमारे पाचन तंत्र का बेहद अहम हिस्सा है। यह हमारे खाने को ऊर्जा में बदलने का काम करता है। नवंबर को पैंक्रियाटिक कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर भी मनाया जाता है।
अग्नाशय पेट में पायी जाने वाली पाचन तंत्र की एक प्रमुख ग्रंथि है, इसका आकार मछली के जैसा होता है। इसकी लंबाई लगभग 6 इंच होती है। अग्नाशय छोटी आंत, लिवर और स्प्ली से घिरा रहता है। इसके सिर का हिस्साग बड़ा और पीछे का हिस्साा छोटा होता है। खाने को ऊर्जा में बदलकर अग्नाशय इस ऊर्जा को सेल्स में भेजता है।
जरूरी है इसका स्वस्थ रहना
अग्ना शय में गड़बड़ी होने पर पाचन की समस्यात, मधुमेह, अग्नाशशय का कैंसर जैसी समस्याूएं हो सकती हैं। पैनक्रियाज के लिए सबसे खतरनाक कैंसर की बीमारी होती है। अग्नाकशय को दुरुस्त रखने के लिए जरूरी है खानपान का विशेष ध्या न रखें। सिगरेट और शराब के सेवन से बचें, नियमित व्या याम करें।
अग्नाशय मुख्य रूप से पाचन में मदद करता है। इसके अलावा कई हार्मोन्स के रिसाव में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अग्नादशय आंतरिक रूप से एंडोक्राइन हार्मोन और बाहरी रूप से एक्सोक्राइन हार्मोन का रिसाव करता है। इसके एन्जाइम पाचन रसों का रिसाव करते हैं जो खाने को आसानी से पचाने के लिए जरूरी है। अग्ना शय के हार्मोनों का रिसाव आइलेट कोशिकाओं द्वारा किया जाता है जो गुच्छों के रूप में उपस्थित हैं। इसके तीन मुख्यव कोशिकाएं होती हैं।
भोजन को पचाने में है अहम योगदान
अग्नाशय हमारे पाचन तंत्र का प्रमुख हिस्साक है। हमारे खाने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा सवर्धिक मात्रा में शामिल होते हैं। इसके अलावा हमें सीमित मात्रा में विटामिन एवं खनिज की भी आवश्यकता होती है। हमारा शरीर भोजन में उपलब्ध इन तत्वों को उनके मूल रूप में उपयोग नहीं कर सकता। इसलिए पाचन तंत्र इसे छोटे अणुओं में तोड़ कर साधारण पदार्थों में बदल देता है, जो हमारे शरीर के हिसाब से प्रयोग किया जाता है।
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अग्नाशय हमारे ब्लड में शुगर को भी कंट्रोल करता है। एल्फा कोशिकाएं जो कि ग्लूकागॉन का रिसाव करती हैं और ग्लूकागॉन रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। बीटा कोशिकाएं इंसुलिन का रिसाव करती हैं जो इंसुलिन रक्त ग्लूकोज के स्तरों को कम करने और प्रोटीन निर्माण को बढ़ाने के लिए जिम्मेइदार हार्मोन है। डेल्टा कोशिकाएं सोमेटोस्टेटिनन का रिसाव करती हैं जो इंसुलिन और ग्लूकागॉन के रिसाव के बीच एक संतुलन बनाए रखता है।