रात में एक चोर घर में घुसा। कमरे का दरवाजा खोला तो देखा कि एक बूढ़ी औरत आंगन में सो रही थी। खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा तो वह लेटे-लेटे बोली, ‘बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो। लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर आ गए हो। चलो कोई बात नहीं। अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी है। उसका सारा माल तुम चुपचाप ले जाना। मगर पहले मेरे पास आकर बैठो। मैंने अभी-अभी एक ख्वाब देखा है। वह सुनकर जरा मुझे इसका मतलब तो बता दो।’
चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा प्रभावित हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया। बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरू किया, ‘बेटा मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गई हूं। इतने में एक चील मेरे पास आई और तीन बार जोर-जोर से चिल्लाई… माजिद… माजिद… माजिद! बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई। जरा बताओ तो इसका क्या मतलब हुआ?’
चोर सोच में पड़ गया। इतने में पास वाले कमरे से बुढ़िया का नौजवान बेटा माजिद अपना नाम जोर-जोर से सुनकर उठ गया और बाहर आकर चोर की जमकर पिटाई कर दी।
बुढ़िया बोली, ‘बस करो, अब यह अपने किए की सजा भुगत चुका है।’ चोर रोते हुए बोला, ‘नहीं-नहीं, मुझे और मारो, ताकि मुझे आगे भी याद रहे कि मैं चोर हूं, सपनों का मतलब बताने वाला नहीं!’