राजस्थान के डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने अचानक से कार्यकाल के 7 महीने पहले ही वीआरएस मांग कर सबको चौंका दिया है. डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने 20 नवंबर से वीआरएस मांगा है, मगर पूछने पर उन्होंने कोई वजह नहीं बताई और कहा कि नो कमेंट.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साल अगस्त में ही भूपेंद्र सिंह को डीजीपी के पद पर 2 साल के लिए नियुक्त किया था. उनका कार्यकाल 30 जून 2021 तक है, मगर उससे पहले ही भूपेंद्र सिंह ने पद छोड़ने की इच्छा जताई है.
भूपेंद्र सिंह के इस कदम के बाद नियम के अनुसार राज्य सरकार ने 7 सीनियर आईपीएस से सहमति पत्र और बायोडाटा यूपीएससी को भेजने के लिए मांगा है, जिसमें सिर्फ तीन नाम यूपीएससी की तरफ से राज्य सरकार को भेजा जाएगा और उसमें से एक व्यक्ति को नया डीजीपी बनाया जाएगा.
माना जा रहा है कि जाटों को खुश करने के लिए एमएल लाठर को नया डीजीपी बनाया जा सकता है. उनका कार्यकाल 8 महीने बाद ही मई 2021 में खत्म हो रहा है. हालांकि वरीयता में वह डीजी होमगार्ड राजीव दासोत से नीचे हैं, मगर माना जा रहा है कि जातीय समीकरण को देखते हुए इन्हीं को डीजीपी बनाया जाएगा.
तीसरे नंबर पर डीजी जेल बीएल सोनी हैं, जो दिसंबर 2022 में रिटायर होंगे. ऐसे में उनके पास अभी वक्त है, लिहाजा 6 महीने बाद उनको राजस्थान सरकार डीजीपी बना सकती है. तीन और एडीजी का नाम भेजा जाएगा जिसमें भूपेंद्र दक, उमेश मिश्रा और नीना सिंह हैं.
कहा जा रहा है कि भूपेंद्र सिंह जिस तरह के व्यक्ति हैं, वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम में वह खुद को सहज नहीं पा रहे थे, क्योंकि इस वक्त राजस्थान पुलिस में राजनीतिक दखलअंदाजी चरम पर है. हालांकि, माना जा रहा है कि उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जा सकता है. इसके अलावा उन्हें आरपीएससी चेयरमैन या पुलिस यूनिवर्सिटी का वीसी बनाने की भी सुगबुगाहट है.