बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए विधानसभा और लोकसभा के लिए आरक्षित क्षेत्रों में सिर्फ इसी वर्ग के लोगों को मताधिकार देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर एक ही क्षेत्र से दो प्रतिनिधि निर्वाचित होंगे। एक अनुसूचित जाति और दूसरे सामान्य वर्ग के होंगे। यह विषय केंद्र का है, लेकिन बिहार विधानसभा इस मांग से संबंधित प्रस्ताव केंद्र को भेजे। वे शुक्रवार को गृह विभाग की अनुदान मांग पर जारी बहस में बोल रहे थे।
नौकरियों में लंबाई में छूट देने की उठाई मांग
मांझी ने कहा कि सिपाहियों की बहाली में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अत्यंत पिछड़़ा वर्ग की महिलाओं को लंबाई में और छूट मिले। उनका कहना था कि इस वर्ग के बच्चों का पोषण स्तर सामान्य और संपन्न वर्ग के बच्चों की तुलना में कमजोर होता है। लिहाजा बच्चे कम लंबे होते हैं। उनकी मांग की थी कि इन वर्गों की लड़कियों की न्यूनतम लंबाई की सीमा एक सौ 52 सेमी किया जाए।
- सुरक्षित सीटों पर सिर्फ आरक्षित वर्ग को मिले वोट का अधिकार : मांझी
- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बोले : विधानसभा इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजे
- सदन में बोले- मगही, भोजपुरी, बज्जिका और अंगिका भाषा को मिले हक
- अनुसूचित जाति व जनजाति की महिलाओं को लंबाई की सीमा में और छूट मिले
पर्चाधारियों को जमीन पर कब्जा दिलाने की मांग
मांझी ने कहा कि लाखों ऐसे परिवार हैं, जिन्हें वासगीत का पर्चा तो दिया गया, लेकिन अभी तक उस पर कब्जा नहीं हो पाया है। सरकार अभियान चला कर उन्हें कब्जा दिलाए। मांझी ने अपना भाषण मगही में दिया। मांग की कि राज्य सरकार मगही के अलावा भोजपुरी, अंगिका एवं बज्जिका को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की अनुशंसा केंद्र से करे। मांझी की ओर से एक क्षेत्र से दो विधायक और दो सांसद चुनने की मांग अपने आप में अनोखी है।