बिहार की लोकल ट्रेन में आधी रात के बाद, देखिये क्या होता है जरूर देखें !
बहन बेटी के साथ न जाए बिहार की ट्रैन में अच्छा नही लगता में खुद बिहारी होकर बिहार की पोल खोलू |
बात 2009 की है जब में पटना से अपने घर गया जाने के लिए ट्रैन चड़ा |
रात के 8 बज रहे थे |
मेरे साथ साथ हजारो लफंगों की बीड उसी ट्रैन में चडी जो डेली बेसिस पर काम करने वाले जवान लोग थे | पटना से गया के बीच बहुत सारे गाँव है जहा से ये लोग हर दिन पटना आते है और फिर वापिस घर लोट जाते है जहा में बेठा था वही एक दादी जी आपनी पोती के साथ बेठी हुई थी |
जो करीब 11 साल की थी जैसे ट्रैन चली दो तीन लड़के उस दादी जी के पास जाके खड़े हो गए और लड़के ने जिसके मुह में एक किलो गुटका ठूस रखा था वो चाइना का मोबाइल निकाल कर अस्लिन बोजपुरी गाने बजाने लगा | सारे लड़के मजे ले रहे थे छेड़खानी का इतना गिनोना रूप आपको बिहार में ही मिलेगा होर कही नही |
हेरानी की बात यह थी कि जिनको बुरा लग रहा था वो अच्छे लोग चुप थे उनमे एक में भी था वजेह हम अच्छे लोग कुछ की संख्या में थे और कोई भी एक दुसरे की मदद नही करना चाहता था क्यूंकि उसकी छेड़खानी में एकता थी और पूरी बोगी उसके साथ थी तो उसके बाद एक ने बोला की बेटा तुम्हारे भी घर में माँ बहन होंगे |
इसके बाद एक ने बोला चुप रह चाचा नही तो उठाके फेक देंगे और बाकि लड़के हसने लगे ट्रैन चलती रही और वो बूढी दादी चुप होक ट्रैन में सफर करती रही एक से एक अस्लिन बोजपुरी गाने सुनती रही.
सारे लड़के लड़की को छूने का परयास करते रहे और दादी बचाती रही लेकिन रेलवे पुलिस कही नजर नही आयी | पटना से जनाबाद तक पूरी ट्रैन उनके कब्जे में थी
आपका सवाल है की किसी ने कुछ किया क्यों नही जवाब है की पूरी रेलवे लाइन में अगर कोई कुछ बोलता है तो सारे लड़के वही आकर जमा हो जाते है और उसे पिटते है और उसे ट्रैन से निचे फेंक कर मार भी डालते है
येहि नही अगर आपने उसे पिट दिया तो वो आपने गाँव फ़ोन कर देते है फिर जब उसका स्टेशन आता है तो उसको उतारकर मारते है ये सब वह रोज की गटना है