बिहार: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ छठ का महापर्व

बिहार के अलग-अलग जिलों में विभिन्न घाटों पर धूम धाम से उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ आज यानी शुक्रवार को महापर्व छठ का समापन हो गया। बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सभी छठ व्रती व्रत का पारण करते हैं। वहीं पारण के साथ ही 36 घंटे के निर्जला उपवास का समापन हो गया। इससे पहले कल शाम में छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया था। बिहार के गंगा घाटों पर काफी संख्या में श्रद्धालु उमड़े और पूरी श्रद्धा के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ को धूमधाम से मनाया गया।

छठ व्रतियों ने नदी किनारे, तलाब के किनारे, अलग-अलग जगहों पर छठ घाट बनाकर पानी में खड़े हो कर सूर्य देव का उपासना और प्रार्थना पूजा अर्चना की। इसके साथ व्रतधारियों ने पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया और अपने परिवार के कल्याण की कामना की। सभी छठ घाटों को रंग बिरंगी लाइट रौशनी से सजाया गया था और जिला प्रशासन के तरफ से भी सुरक्षा को लेकर अच्छी व्यवस्था की गई  ताकि छठ व्रती ओर छठ पूजा में आस्था रखने वाले श्रद्धालु लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

गौरतलब हो कि इस पर्व का महत्व मिथिलांचल, पूर्वांचल सहित पूरे बिहार में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। संतान प्राप्ति और संतान के निर्योग्यता को लेकर विशेष महत्व रखता है। बता दें कि गुरूवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दानापुर के नासरीगंज घाट से कंगन घाट तक पानी के जहाज से गंगा नदी के विभिन्न छठ घाटों का भ्रमण किया और छठ व्रतियों एवं राज्यवासियों को छठ की शुभकामनाएं दीं।

ज्ञात हो कि यह पर्व वर्ष में 2 बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिक छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं।

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